अटलजी को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शनिवार को कायम रहा। सरयू तट पर आंजनेय सेवा संस्थान के संयोजन में होने वाली नित्य महाआरती शुक्रवार की शाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम से की गई। 2100 दीपों से पुण्यसलिला की आरती अटल की स्मृति से सराबोर थी। पूर्व प्रधानमंत्री का अयोध्या से गहरा नाता रहा और 2004 में रेलवे पुल का उद्घाटन करने के साथ उनका नाम भी पुण्यसलिला के साथ चस्पा है।
प्रिय नेता की याद में सरयू आरती के बाद प्रतिष्ठित पीठ रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा, अटलजी जैसे नेता युगों में पैदा होते हैं और सरयू तट पर उस नेता को शिरोधार्य करना अत्यंत मार्मिक है, जिसका जीवन सरयू की धार की ही तरह स्वच्छ-शुभ्र था। विधायक वेदप्रकाश गुप्त ने कहा, अयोध्या को कहीं अधिक प्रतिबद्धता से विकसित कर अटलजी की स्मृति अक्षुण्ण रखी जाएगी। सरयू तट पर पूर्व प्रधानमंत्री के लिए मोमबत्ती रोशन करते हुए आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास कहते हैं, यह मोमबत्ती तो कुछ देर में बुझ जाएगी पर रामनगरी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा की छाप अमिट है। महाआरती के माध्यम से अटलजी को श्रद्धांजलि देने वालों में भाजपा की प्रदेशीय समिति के सदस्य अभिषेक मिश्र भी शामिल रहे। उन्होंने कहा, अटलजी हमारे लिए अयोध्या से संबद्ध पवित्र प्रतीक जैसे रहेंगे। इस मौके पर डांड़िया मंदिर के महंत गिरीशदास, सीतावल्लभकुंज के अधिकारी छविरामदास आदि सहित बड़ी संख्या में लोगों ने अटलजी को श्रद्धांजलि दी। संत जी कहां से पधारे हैं..
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