सराहा का नाम तो सुना ही होगा. सोशल मीडिया पर जंगल में लगी आग की तरह वायरल हो रहा है. गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर करोड़ों बार डाउनलोड किया जा रहा है. यह फीडबैक ऐप है जिसके जरिए कोई शख्स आपकी मर्जी से बिना अपनी पहचान जाहिए किए मैसेज भेज सकता है.
सराहा ऐप के फाउंडर जैन-अल आबेदीन तौफीक हैं और सउदी के रहने वाले हैं. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने भारतीय कंपनी विप्रो में काम किया है और उन्होंने यहीं से प्रोग्रामिंग भी सीखी है.
हमने उनसे खास बातचीत की है और जानने की कोशिश की है कि इस ऐप का भविष्य क्या है.
सवाल: सराहा ऐप बनाने के पीछे की कहानी क्या है?
जैन-अल आबेदीन: ग्रेजुएशन के बाद जब मैने कॉर्पोरेट लाइफ शुरू की तो मैने नोटिस किया कि ऑफिस में कंस्ट्रक्टिव फीडबैक यानी तर्कसाध्य फीडबैक की जरूरत है. ऐसे प्लेटफॉर्म की जरूरत महसूस हुई जहां फीडबैक देने वाले की पहचान जाहिर न हो. क्योंकि इसके लिए सारे बैरियर होते हैं मसलन, उमर और पोस्ट. सबसे अच्छी बात है कि आप बिना पहचान बताए फीडबैक दें.
पहले मैने सोचा कि इसका हल क्या हो सकता है. फीडबैक के लिए डेस्क पर सजेशन या फीडबैक बॉक्स भी रखा जा सकता है, लेकिन मैं कंप्यूटर साइंस स्टूडेंट हूं और मुझे लगा कि इसे ऑटोमैटिक बनाया जा सकता है. इसलिए मैने सराहा बनाया. सराहा लॉन्च करने से पहले ही मैने सोचा कि इसे सिर्फ ऑफिस के लिए नहीं बल्कि फ्रेंड्स और फैमिली के लिए भी लाया जाए जिससे सब एक दूसरे के साथ इमानदारी के साथ रह सकें.
सवाल: भारत में यह ऐप काफी पॉपुलर हो रहा है, भारतीय यूजर्स के लिए क्या कहेंगे?
जैन-अल आबेदीन: मुझे गर्व की सराहा भारत पहुंच गया है और लोग इसे पसंद कर रहे हैं. ये हमारे लिए खुशी की बात है. मैंने सिर्फ एक बार ही किसी कंपनी के लिए काम किया है और वो भारतीय आईटी कंपनी विप्रो है. भारतीय ने मुझे युनिवर्सिटी प्रोग्रामिंग पढ़ाया, भारत के इंजीनियर्स ने कंपनी ने मुझे प्रोग्रामिंग पढ़ाया और मेरे कई भारतीय कलीग और दोस्त हैं.
सवाल: क्या सराहा व्हाट्सऐप को टक्कर दे सकता है?
जैन-अल आबेदीन: व्हाट्सऐप और सराहा दोनों काफी अलग हैं. वो मैसेजिंग टूल है और यह कंस्ट्रकटिव फीडबैक का ऐप है. हमारा मुकाबला व्हाट्सऐप और दूसरे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म से है ही नहीं. हम काफी अलग हैं और यही हमारी खासियत है.
सवाल: इस ऐप का रेवेन्यू मॉडल क्या है?
जैन-अल आबेदीन: रेवेन्यू के कई मॉडल हैं हमारे पास, लेकिन फिलहाल इसमें से एक विज्ञापन वाला मॉडल इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है.
सवाल: एक समय के बाद लोग इससे बोर होने लगेंगे. आगे का क्या प्लान है?
सवाल: क्या सराहा ऐप में नए फीचर्स आएंगे? कब?
जैन-अल आबेदीन : IT कंपनियों के चैलेंज के बारे में हमें पता है और कई प्लान हैं हमारे पास आने वाले समय के लिए. कई नए फीचर्स जोड़े जाएंगे. सबसे खास बात इस ऐप की ये है कि यह कंस्ट्रकटिव फीडबैक के जरिए किया जाने वाले सेल्फ डेवेलपमेंट ऐप है. हमारे पास कुछ ऐसे सरप्राइज हैं जिसे कस्टमर्स काफी पसंद करने वाले हैं. हम ये नहीं बता सकते कि वो क्या है, क्योंकि फिर मजा नहीं आएगा.
सवाल: लोगों को डर है कि आने वाले समय में यह ऐप सेंडर की पहचान जाहिर कर देगा. लोगों के ये भी सवाल हैं कि पैसे लेकर लोगों की पहचान जाहिर की जाएगी.
जैन-अल आबेदीन :ऐसा बिल्कुल नहीं होगा. हमारे पास कड़ी प्राइवेसी पॉलिसी है और हम किसी भी कीमत पर किसी शख्स की आइडेंडिटी कभी जाहिर नहीं कर सकते. हालांकि अगर किसी की मर्जी हुई तो हम पहचान जाहिर कर कर सकते हैं. या अगर कोई इसकी आड़ में नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो भी हम पहचान जाहिर कर सकते हैं. लेकिन लोग अगर नियम का पालन करेंगे तो किसी की पहचान उजागर नहीं की जाएगी.
सवाल: ब्लॉक फीचर कैसे काम करता है?
जैन-अल आबेदीन :Block फीचर को काफी सीक्रेट रखा गया है. क्योंकि अगर हमने बताया कि ब्लॉक कैसे काम करता है तो इसका गलत इस्तेमाल करने वाले फायदा उठाएंगे. साथ ही वो लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं जो इस प्लेटफॉर्म को गालियां देने के लिए इस्तेमाल करते हैं. अकाउंट ब्लॉक पर हम काम कर रहे हैं जल्दी ही इसमें नए सिक्योरिटी मेजर्स लिए जाएंगे.
सवाल: क्या आप कस्टमर्स की जानकारियां पैसे कमाने के लिए बेचेंगे?
जैन-अल आबेदीन :किसी भी यूजर्स की जानकारी बिना उनकी इजाजत के नहीं बेची जा सकती है.
सवाल: यूजर्स की किस तरह की जानकारी आपके सर्वर पर रिकॉर्ड होती है?
जैन-अल आबेदीन :दूसरी वेबसाइट की तरह यह वेबसाइट भी होस्टिंग सर्वर यूजर का आईपी, डेट और टाइम रिकॉर्ड करता है. इसके अलावा सर्वर तक ब्राउजर का टाइप और यूआरएल की जानकारी भी जाती है जिसे इस वेबसाइट के लिए रेफ्रेंस के तौर पर यूज किया गया है.