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बता दें 10 दिन तक चलने वाली इस सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि ट्रिपल तलाक धर्म का हिस्सा है या नहीं है। इस बीच कोर्ट ने तीन तलाक के खिलाफ याचिका डालने वालों और पक्ष में बोलने वालों को कथित तौर पर निर्देश दिए हैं।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इस पीठ के पांचों सदस्य अलग-अलग धर्म के हैं।
मालूम हो कि पिछले दिनों इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल कर केंद्र सरकार ने कहा था कि तीन तलाक, बहुविवाह आदि प्रथाएं धर्म का हिस्सा नहीं हैं। साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि यह प्रचलन महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा के खिलाफ है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इस मामले में न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए।
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