टीम इंडिया के तेज गेंजबाज उमेश यादव ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने के सात साल बाद बड़ा खुलासा किया है. उनका कहना है कि जब 20 वर्ष की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने आगाज किया था, तो उन्हें लाल रंग की एसजी टेस्ट गेंद से खेलने का अंदाजा नहीं था.अभी-अभी: टीम के साथ पूर्व खिलाड़ी ब्रेट ली ने ढूंढ़ा सचिन का ‘सबसे बड़ा फैन……
अब तक 33 टेस्ट और 70 वनडे खेल चुके उमेश यादव ने ‘बीसीसीआई डॉट टीवी’ से कहा, ‘आप बचपन से क्रिकेट खेल रहे हो. तो आपको खेल के बारे में काफी चीजें पता चल जाती हैं. लेकिन अगर आपको अचानक कुछ अलग चीज करने को कहा जाए, तो आपके लिए मुश्किल हो सकती है.’
टेस्ट में 92 और वनडे में 98 विकेट हासिल कर चुके इस पेसर ने कहा, ‘मैंने टेनिस और रबड़ की गेंद से खेलना शुरू किया और जब तक मैं 20 साल का नहीं हो गया, तब तक मैंने क्रिकेट में आमतौर पर इस्तेमाल की जानी वाली गेंद नहीं पकड़ी थी. एक तेज गेंदबाज के लिए यह काफी देर से हुआ था. इसलिए जब ऐसा हुआ, तो मुझे नहीं पता था कि इस गेंद से क्या करूं.’ और इसके साथ गेंदबाजी करने को समझने में उन्हें करीब दो साल लग गए.
उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि गेंद को कहां पिच करूं, पहले दो वर्षों में मैं यह नहीं समझ सका कि कब गेंद बाहर जाएगी और कब यह अंदर या फिर सीधी जाएगी.’ पिछले 12 महीने के अपने प्रदर्शन से उमेश ने उन आलोचकों को चुप कर दिया है जो उनकी लाइन एवं लेंथ को लेकर कई बार आलोचनाएं करते रहे थे. इतनी आलोचनाओं के बावजूद इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने अपनी रफ्तार से समझौता नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘मैं हमेशा तेज गेंदबाजी करना चाहता था. जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने तेज गेंदबाजी के बारे में काफी चीजें सीखीं. मैं जिस जगह से आता हूं, वह तेज गेंदबाजों को पैदा करने के लिए मशहूर नहीं है.’ यादव ने कहा, ‘मैं जानता था कि ऐसे कई गेंदबाज थे, जो 130-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे. मैं जानता था कि अगर आप हर गेंद 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करोगे, तभी आप कुछ अलग हो सकते हो और तभी आपको मौका मिल सकता है.’