नई दिल्ली। जल्द ही देश में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर जहां एक ओर केंद्र सरकार अपने उम्मीदवार को इस पद पर बिठाना चाहती है तो वहीं विपक्ष भी इसी कोशिश में लगा हुआ है। दोनों ओर से आए दिन एक नए उम्मीदवार का नाम सामने आ रहा है।यह भी पढ़े:> वैज्ञानिकों ने किया ये बड़ा खुलासा- कब और कैसे करें सेक्स?
वहीं अब एक ऐसा नाम सामने आया है जिसको लेकर कहा जा रहा है कि यदि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति पद के लिए इस उम्मीदवार के नाम का ऐलान करते हैं तो कांग्रेस के साथ पूरा विपक्ष भी उनके साथ आ सकता है। खबर है कि इस उम्मीदवार के नाम पर विपक्षी दल बीजेपी गठबंधन के राष्ट्रपति उम्मीदवार का विरोध नहीं करेंगे।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बीच इस नाम को लेकर चर्चा भी हुई है। अखबार के मुताबिक अगर बीजेपी गठबंधन मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दोबारा राष्ट्रपति बनाने का समर्थन करता है तो पूरा विपक्ष उनके साथ खडा होगा।
आपको बता दें कि आजाद भारत के इतिहास में केवल देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ही दो बार देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। वह पहली बार 1951 में राष्ट्रपति बने और फिर उन्हें 1957 में दोबारा भी राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया। साल 1962 तक उनका कार्यकाल रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष अपनी तरफ से प्रणब मुखर्जी का नाम दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए नहीं बढ़ाना चाहता। विपक्ष चाहता है कि पहले एनडीए अपने उम्मीदवार का नाम घोषित करे।
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, मायावती, शरद यादव इत्यादि से मुलाकात कर चुकी है और माना जा रहा है कि सोनिया राष्ट्रपति पद के लिए एक साझा उम्मीदवार पर सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के लिए इन नेताओं से मिल रही हैं।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी गठबंधन के पास अपने पसंदीदा उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनवाने में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज इत्यादि के नाम मीडिया में उछाले जा रहे हैं।
बता दें कि जब मुखर्जी को 2012 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था तो उस समय बीजेपी के साझीदार रहे जनता दल (यूनाइटेड) ने भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था। शिव सेना ने भी 2012 में मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया था। 2012 में भाजपा ने पीए संगमा का समर्थन किया था।