वर्ष 2017 में दुनिया के भीतर रेनसमवेयर से सनसनी मचाकर अपने शुरूआती प्रयोग में बड़ी सफलता पा ली है और अगले साल के लिए हैकरों ने और भी खतरनाक रणनीतियों की तैयारी कर ली है।
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एक नए अध्ययन में पता चला है कि ये हैकर्स अब ऑनलाइन सुरक्षा के नये कारोबारी मॉडल के साथ 2018 की तैयारी कर चुके हैं।
अमेरिका स्थित इंटरनेट सुरक्षा कंपनी मेकेफे ने इस बारे में बड़ा अध्ययन करने के बाद दुनिया के इंटरनेट यूजरों को चौकन्ना रहने के लिए कहा है। कंपनी ने कहा है कि अगले साल दुनिया के बड़े हैकर्स नई रणनीतियों और कारोबारी मॉडलों का उपयोग करते हुए कंप्यूटर उपकरणों पर सीधा हमला कर सकते हैं।
शोधार्थियों का कहना है कि इस साल हैकरों ने दो बार सिर्फ अपने इरादों की शुरूआत करते हुए दुनिया के कई देशों के कंप्यूटरों को प्रभावित कर बिटकॉइन में फिरौती मांगी थी जिस पर सुरक्षा कंपनियों ने नियंत्रण पा लिया था।
शोध रिपोर्ट के मुताबिक ये हैकर्स अगले साल अमीर लोगों को निशाना बना सकते हैं और उनका लक्ष्य ऐसे उपकरणों से जुड़ना होगा जो कंप्यूटर व स्मार्टफोन के मुकाबले कम सुरक्षित होते हैं।
मेकेफे के मुख्य तकनीकी अधिकारी स्टीव ग्रोवमैन ने कहा कि 2017 के साइबर हमले सिर्फ इतना ही बता पाते हैं कि हैकर्स नये तरीकों से सुरक्षा नीतियों में सेंध लगा सकते हैं, लेकिन इस सेंधमारी के लिए जिस अबूझ अत्याधुनिक कोडिंग तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है उस पर दुनिया में अब तक कोई काम हुआ ही नहीं है।
साइबर सुरक्षा से जुड़े वैज्ञानिकों को आशंका है कि अब हैकर्स खतरनाक हमलों के लिए बाकायदा लोगों को नियुक्त भी कर सकते हैं। साइबर सुरक्षा विज्ञानी राज समानी ने बताया कि इस साल हैकिंग सेवा का व्यावसायिक नेटवर्क बढ़ा है, अगले साल तक यह सेवा विरोधियों को बेचकर कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। यह बेहद खतरनाक साबित होगा।
गोपनीय डाटा एकत्रित होने से खतरा बढ़ा
मेकेफे द्वारा जारी ‘थ्रेट्स प्रिडिक्शन रिपोर्ट 2018’ में कहा गया है कि लोगों के गोपनीय डाटा और बच्चों से जुड़ी जानकारी को लेकर इसलिए भी खतरा है क्योंकि डिवाइस मेकर्स इन्हें एकत्रित कर इनका मार्केटिंग में इस्तेमाल करते हैं। यही डाटा हैकर्स द्वारा की जाने वाली प्रोग्रामिंग में काम आता है जिसका लॉगरेदम असामान्य व खतरनाक होता है।