एक जुलाई से जीएसटी लागू हुआ और अब इसका रिटर्न भी भरना है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को हर जानकारी हो, वरना एक गलती उन्हें जेल की हवा खिला सकती है। अभी-अभी: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिया बड़ा बयान, कहा- CM योगी को दें थोड़ा वक्त, मिलेंगे बेहतर नतीजे…
जीएसटी का पहला रिटर्न फाइल करने के लिए लोगों को 25 अगस्त तक का टाइम दिया गया है। पहले यह 20 अगस्त तक भरना था, लेकिन वेबसाइट स्लो होने के कारण इस तारीख को बढ़ा दिया गया है। लेकिन जो करदाता ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ नहीं उठाना चाहते हैं उन्हे भी 25 अगस्त तक रिटर्न दाखिल करना होगा। जो करदाता इसका लाभ उठाना चाहते हैं उन्हें 28 अगस्त तक ट्रांस1 फॉर्म भरना होगा।
चैंबर आफ चंडीगढ़ इंडस्ट्री के अध्यक्ष नवीन मंगलानी ने कहा कि जीएसटी डिपाजिट करने के अंतिम दिन साइट डाउन होने से काफी उद्यमी रिटर्न फार्म नहीं भर सके। इसलिए सरकार ने यह तारीख 25 तक कर दी। व्यापारी GST.GOV.IN लॉगइन करके जीएसटी भर सकते हैं। वहीं GST के मॉडल ड्राफ्ट के मुताबिक, हर तीसरे महीने रिटर्न फाइल करना जरूरी होगा। इसके तहत हर महीने निश्चित तारीख पर जीएसटी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी ही करनी होगी।
नवीन मंगलानी ने बताया कि जीएसटी में फ्रॉड करने पर अधिकतम 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे में जेल जाने से बचने का यही तरीका है कि टैक्स से जुड़े सारे काम समय पर पूरे कर लिए जाएं। अब तक कारोबारी टैक्स अदायगी की मुख्यधारा से नहीं जुड़े हुए थे, ऐसे में अब इन व्यापारियों को टैक्स की मुख्यधारा से जुड़ने में और उसे समझने में कुछ वक्त लग सकता है, हालांकि समय बहुत कम है।
अब तक छोटे व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग टैक्स देने से बच जाता था या फिर कभी-कभार ही टैक्स देता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। यदि अब व्यापारी टैक्स नहीं देते हैं और अपने व्यापार और आय का ब्यौरा नहीं देंगे तो उन्हें आयकर की तरफ से नोटिस का सामना करना पड़ सकता है साथि ही ब्याज, लेट फीस और पेनल्टी आदि भी लग सकती है। अब जानिए वो 5 तारीखें जिन्हें नजरअंदाज करना आपको भारी पड़ सकता है।
हर महीने की 10 तारीख व्यापारी को पिछले महीने के हर रिकॉर्ड को अगले महीने की 10 तारीख तक जीएसटी पोर्टल पर देना होगा। अगर आप ये तारीख भूल जाते हैं तो आपको लेट फीस अदा करनी पड़ सकती है। GST-R फॉर्म यानि कि जीएसटी रिटर्न फॉर्म में अपने वस्तुओं और सेवाओं की जानकारी दर्ज करना होगा।
इसके अलावा वस्तुओं और सेवाओं पर कुल कर योग्य कीमत भी बतानी होगी। अगर ग्राहक को की गई सप्लाई पर टैक्स 2.5 लाख रुपए से अधिक बनता है और ये सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इनवाइस यानि की पक्की रसीद की जानकारी देनी होगी।
हर महीने की 13 तारीख इनपुट सर्विस ड्रिस्टिब्यूटर (मैन्यूफैक्चरर ऑफिस) के लिए बहुत अहम है। इसमें सर्विस प्रदान करने वाले व्यक्ति को पूरी जानकारी जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इसके लिए फॉर्म GSTR-6 का प्रयोग किया जाएगा। हर महीने की 15 तारीख को आपने अपने सप्लायर से जितना माल खरीद है, उसकी जानकारी आपको दर्ज करनी होगी। इसमें फॉर्म GSTR-2 का प्रयोग होगा।
हर तिमाही के बाद हर अगले महीने की 18 तारीख को आपको पूरे क्वार्टर का यानि कि पूरी तिमाही का रिटर्न भरना होगा। इसमें GSTR-4 फॉर्म का प्रयोग किया जाएगा। ये रिटर्न कंपाउंड टैक्स पेयर और मासिक 20 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर रिटर्न देना होगा। 20 तारीख सप्लायर और खरीदने वाले दोनों के लिए अहम है। इसके लिए आपको GSTR-3 फॉर्म भरना होगा। इसे आप तब भरेंगे जब आपका मंथली बिजनेस 20 लाख रुपए से कम होगा।