भगवान सूर्य नारायण आज कन्या राशि छोड़कर तुला राशि में प्रवेश कर जाएंगे। यह प्रवेश भगवान विष्णु के जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसके साथ ही ब्रह्मांड में बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
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यद्यपि तुला में आने के बावजूद कड़ाके की ठंड लाने वाली हेमंत ऋतु अभी नहीं आएगी, किंतु सूर्य का ताप कुछ और कम हो जाएगा। प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष में सर्य अपनी नई राशि बदलते है। उनका राशि प्रवेश मौसम पर प्रभाव डालता है। इस अवसर पर उस नक्षत्र का भी महत्व होता है, जिस नक्षत्र में यह परिवर्तन हुआ हो।
मंगलवार को प्रदोष का भी व्रत है और तुला सक्रांति का पुण्य काल अगले दिन दोपहर तक बना रहेगा। इस काल में अनेक प्रकार के क्रम किए जा सकते है। संक्रांति को सौर मास का जनक माना गया है। विशेष रूप से देश के पर्वतीय क्षेत्रों तथा पंजाब आदि प्रांतों में संक्रांति का महत्व अधिक मानते हैं।
कई शुभ कार्य संक्रांति के दिन शुरू किए जाते हैं और कई कार्यों की आधारशिला भी इस दिन रखते है। संक्रांति का पर्व भारत में ही नहीं किसी न किसी रूप में दुनिया के बड़े भाग में मनाया जाता है। यह और बात है कि वहां इस दिन का कोई शास्त्रीय महत्व नहीं होता और यह दिन शुभ अवश्य मानते है।
चंद्रमास और सौर मास के दिनों में फर्क है। सौर मास में काल खंड की गणना सूर्य से और चंद्र मास में चंद्रमा से की जाती है। कई यूरोपियों देशों में भी शुक्ल पक्ष को शुभ माना गया है, किंतु सूर्य परिर्वतन की तिथि को अधिमान दिया जाता है।
संक्रांति के दिन चल रही ऋतु में कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होता है। इस समय शरद ऋतु चल रही है तथा पिछले सौर मास में सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में हुआ था। कन्या राशि को भी शीत की जन्मदात्री रारशि माना गया है। अब तुला में आने से सूर्य का तापमान कुछ और घट जाएगा। एक माह बाद सूर्य जब वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे तब कड़ाके की ठंड लाने वाली हेमंत ऋतु का जन्म हो जाएगा।