राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ रही प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चिंता का विषय है. हर साल दिल्ली प्रदूषण के दंश से गुजरती हैं लेकिन फिर भी समस्या जस की तस बनी रहती है. राजधानी के लोग इसी आबोहवा में सांस लेने को मजबूर रहते हैं फिर इस प्रदूषण का कोई तोड़ नहीं निकलता. ज़ाहिर है विकास की दौड़ ने हमें ऐसी आबोहवा दी है लिहाज़ा इसमें सांस लेना हमारी मजबूरी है.
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इस प्रदूषित हवा में सांस लेते हुए कई सावधानियों की ज़रूरत है. ये प्रदूषण सबसे पहले बच्चों और बुजुर्गों को अपना शिकार बनाता है. इसीलिए इस तरह के मौसम और हवा में 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों का खास ध्यान रखना चाहिए.
बच्चों के फेफड़े अभी ग्रोइंग होते हैं लिहाज़ा वो जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं जिससे अधिक प्रदूषित हवा भी ग्रहण करते हैं और उनके फेफड़ों की ग्रोथ रुक जाती है. आगे चलकर उन्हें सांस की बीमारी, मेमोरी लॉस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसीलिए बच्चों को इस तरह की प्रदूषित हवा में कम से कम बाहर निकालें और जब भी बच्चे बाहर जाएं तो मुंह पर कपड़ा या मास्क पहनकर ही जाएं.
बुजुर्ग खास तौर पर 65 साल से अधिक उम्र के लोगों के फेफड़े भी काफी कमजोर होते हैं. इसीलिये ऐसी हवा में उन्हें सांस लेने में काफी मुश्किल होती है. इसके अलावा, बुजुर्गों के गले मे खराश, खांसी, नाक में इर्रिटेशन जैसी समस्याएं इस मौसम में प्रदूषण के कारण और बढ़ जाती हैं. साथ ही जो लोग अस्थमा, हार्ट, किडनी या ब्लड प्रेशर के मरीज हैं उनके लिए भी ये हवा बेहद खतरनाक हैं.
अगर इस मौसम से सही मास्क का इस्तेमाल किया जाए तो 70 से 80 प्रतिशत बचाव संभव हैं. डॉक्टरों के मुताबिक सिर्फ N95 और N99 जैसे मास्क ही इस तरह के प्रदूषण में कारगर हैं. अगर मास्क नहीं खरीद सकते हैं तो मखमल के कपड़े को तीन लेयर में मास्क के तौर पर इस्तेमाल किया जाए तब भी 70 से 80 प्रतिशत प्रदूषण से बचाव किया जा सकता हैं.
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