जी हां, मंगलवार की रात करीब 8.52 पर चमोली जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.2 लेकिन इन छोटे-छोटे भूकंप के झटकों को नजर अंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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चमोली जिले में मंगलवार रात आए भूकंप का केंद्र जोशीमठ ब्लॉक के सुराईटोटा में था और इसकी गहराई 10 किमी थी। सुराईकोटा चीन सीमा क्षेत्र नीती में है। जिला आपदा प्रवंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि भूकंप की गहराई अधिक होने के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ है। वहीं, पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट ने बताया कि भूकंप से किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है।
वहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के जितने नीचे धंसती जाएगी हिमालयी क्षेत्र में भूकंप के झटके तेज होते जाएंगे। यहां भूगर्भ में भर रही ऊर्जा नए भूकंप जोन भी सक्रिय कर सकती है और इसकी संवेदनशीलता भी बढ़ सकती है। स्थिति को भांपकर वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान ने हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की तरंगे मापने वाले 10 ब्रॉड बैंड सीइसमोग्राफ संयंत्र लगाए हैं।
इंडियन और यूरेशियन प्लेट में चल रही टकराहट से हिमालयी पट्टी (एचएफटी) में बड़े पैमाने पर ऊर्जा भर रही है। यह दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। नीचे ऊर्जा का दबाव बढ़ने पर हजारों सालों से हिमालयी क्षेत्र में सुसुप्तावस्था में पड़ी भूकंप पट्टियां सक्रिय हो गई हैं। ये कभी ऊर्जा के बाहर निकलने का रास्ता बन सकती हैं जिसकी वजह से लोगों को और तेज झटके लगेंगे।
इसके साथ ही बड़े भूकंप की शक्ल में ऊर्जा बाहर निकल सकती है। सेंस फ्रांसिस्को अमेरिका में हुई जियो फिजिकल यूनियन की कॉंफ्रेंस में कहा गया कि हिमालयी क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 की तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है। वर्ष 1950 में असम के बाद रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक तीव्रता वाला कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। विज्ञानियों का मानना है कि चूंकि हिमालयी भूगर्भ में ऊर्जा भरने का सिलसिला लगातार जारी है। इससे भूकंप के खतरे अप्रत्याशित रूप से और बढ़ सकते हैं। इससे नए संवेदनशील जोन बनेंगे।
अमूमन भूकंप आने के बाद भूकंप की संवेदनशीलता तय की जाती है। अभी उत्तराखंड चार और पांच सीइसमिक जोन में आता है, लेकिन हालात इसमें बदलाव कर सकते हैं। पूरे हिमालयी क्षेत्र में लगभग चार हजार भूकंप पट्टियां चिन्हित की गई हैं। हर झटका इन्हें और सक्रिय करता जाएगा। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानी उत्तराखंड के भूकंप संवेदनशील स्थानों की भी जांच कर रहे हैं। संस्थान की सीइसमिक स्टडी में हिमालय पट्टी (एचएफटी) का पूरा क्षेत्र भूगर्भीय ऊर्जा से लॉक है।
विज्ञानी अंदाज नहीं लगा पा रहे हैं कि यह ऊर्जा कहां से निकलेगी। उसी लिहाज से नए जोन चिन्हित होंगे। उत्तराखंड सहकारिता आपदा पुनर्वास प्रबंधन के पदाधिकारी एसए अंसारी का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में जिस तरह ऊर्जा लॉक है, उससे बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है।
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