माघ मास की मौनी अमावस्या. ऐसा पावन दिन जो पितरों को याद कर उनके नाम पर स्नान, दान करने का होता है. वो दिन जब दूर हो जाता है मनुष्य के अंदर का अंधेरा. यूं तो पूरे माघ महीने को ही बेहद खास माना गया है. इस बार 16 जनवरी मंगलवार को मौनी अमावस्या है. आइए जानते हैं कि इस दिन कौन से काम अनजाने में भी नहीं करने चाहिए..अमावस्या पर किसी भी इंसान को श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके आस-पास नहीं घूमना चाहिए. इस समय बुरी आत्माएं सक्रिय हो जाती है और मानव इन बुरी आत्माओं या नकारात्मक शक्तियों से लड़ने में सक्षम नहीं होता है.
ये नकारात्मक शक्तियां मानसिक रूप से कमजोर किसी भी व्यक्ति को तुरंत अपने प्रभाव में ले लेती हैं. यदि कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो और नकारात्मक सोच से घिरा हुआ हो तो ये संभावना और भी बढ़ जाती है. प्रायः जब कोई व्यक्ति इन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव में आता है तो उसका खुद पर काबू नहीं रहता. वह उनके वश में हो जाता है.
मौनी अमावस्या के दिन स्नान का खास महत्व है इसलिए अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर पाएं है तो घर पर जरूर स्नान कर लें. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना नहीं भूलें. स्नान से पहले तक कुछ बोले नहीं, मौन रहें.
अमावस्या पर संयम बरतना चाहिए. इस दिन पुरुष और स्त्री को यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए. गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख नहीं मिलता है.
इस दिन चटाई पर सोना चाहिए तथा शरीर में तेल नहीं लगाना चाहिए.
अगर मौनी अमावस्या का व्रत हैं तो फिर किसी प्रकार का श्रृंगार ना करें.
अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह का माहौल बिल्कुल नहीं होना चाहिए. लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए. इस दिन कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए.
अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं लेकिन शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श नहीं करना चाहिए इसलिए पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श ना करें. इससे धन की हानि होती है.
इस दिन सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए. जल्दी उठ जाएं और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं. स्नान और पूजा पाठ करने के बाद भोजन ग्रहण करें.
इस दिन शराब, मांस के सेवन इत्यादि से दूर रहें. सादा भोजन करें.