राहु और केतु अपनी राशियां बदल चुके हैं। राहु कर्क में और केतु मकर में प्रवेश कर चुके हैं। इसे लेकर बहुत चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है। अंतरिक्ष में सभी ग्रह अपनी अपनी चाल से चलते रहते हैं इसलिए समझना यह है कि ग्रहों के अनुसार कैसे जीवन जीना है। राहु और केतु के बदलाव से किन किन बातों के प्रति सतर्क होना है, यह जानना जरूरी है।
सर्प का फन माना गया है राहु
इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलॉजिकल साइंसेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश चिन्तक के अनुसार राहु को सर्प का फन माना गया है अर्थात ग्रसने वाला विषयुक्त। राहु जिस राशि में जाएंगे वहां का स्थान विषाक्त होगा। कर्क राशि में राहु के जाने पर कर्क पर विष का प्रभाव रहेगा। राहु के प्रभाव से व्यक्ति का स्वभाव बहिर्मुखी हो जाता है। ओवर कॉंफिडेंस को नियंत्रित करके रखा जाए तो यह व्यक्तित्व का काफी प्रसार करता है। अपनी बात को सबके सामने रखने में समर्थ हो जाता है। वैसे यह भी देखा गया है कि संघर्ष के साथ साथ करियर में अच्छी उन्नति राहु दिलाता है। विज्ञापन, राजनीति, मार्केटिंग, सेल्स संबंधित क्षेत्रों से जुडे़ लोगों को इस राहु से लाभ भी होता है।
राहु में थोड़ा भ्रम भी रहता है
कई बार व्यक्ति के सामने कई रास्ते आ जाते हैं जिसका चयन धैर्य और विवेक से करना चाहिए। रमेश चिन्तक ने बताया कि कर्क राशि जल तत्व की राशि है। कर्क राशि वालो को पीने के पानी की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पानी को फिल्टर करके या उबाल कर पिएं। हानिकारक बैक्टीरिया रोगी बना सकते हैं। बाजार का भोजन, फास्ट फूड, बासी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। फूड प्वाइजनिंग, डायरिया, आकस्मिक दुर्घटना कराने में मुख्य भूमिका राहु ही निभाते हैं। हाइजीनिक रहना चाहिए। मानसिक और शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। गुटखा या तंबाकू आदि का सेवन करते हों तो तुरंत बंद कर दें क्योंकि राहु कैंसर का भी कारक होता है। चंदन के उत्पादों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। राहु सर्प है और चंदन के ऊपर सर्प के विष का प्रभाव नहीं पड़ता है।