देवगुरु बृहस्पति 12 सितंबर को 12 वर्ष बाद तुला राशि में प्रवेश कर रहे हैं। उनका प्रवेश प्रात:काल चित्रा नक्षत्र तृतीय चरण में होगा। इससे कुछ राशियों पर बहुत बुरा असर पड़ने वाला है। पढ़िए क्या होगा प्रभाव…
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तुला राशि में वास्तव में दैत्यों के आचार शुक्राचार्य की राशि है। गुरु को देवताओं का गुरु माना जाता है। शत्रु की राशि में यह परिवर्तन धरती पर कोई न कोई संकट ला सकता है। अतीत में जब भी ऐसा हुआ है तब संकट अवश्य आया है।
ज्योतिषाचार्य डा. प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार इस ब्रह्मांड में गुरु और शुक्र के नेतृत्व में ही ग्रह चलते हैं। शुभ ग्रह और नवग्रह देवगुरु बृहस्पति के संचालन में हैं। इसके विपरीत दैत्य ग्रह शुक्राचार्य के संचालन में चलते हैं। बृहस्पति का शत्रु राशि में जाना कदापि शुभ नहीं कहा जा सकता।
डा. मिश्रपुरी के अनुसार गुरु का तुला में आना पूरे संसार के लिए ही कष्ट उत्पन्न करेगा। यद्यपि अलग-अलग राशियों पर पृथक प्रभाव पड़ने वाला है। मिथुन, सिंह, कन्या, धनु और कुंभ राशि पर इस प्रवेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
शेष राशियां प्रभावित होंगी। गुरु के तुला के प्रवेश से बेमौसम वर्षा के योग बनते हैं। यद्यपि ऐसा जब भी ऐसा हुआ है घी, तेल और वनस्पति सस्ते हुए हैं। राशियों का प्रभाव टालने के लिए ज्योतिष में अनेक विधान बताए गए हैं।
यह राशि प्रवेश जिस दिन होगा, उसी दिन से प्रभाव प्रारंभ हो जाएगा। इसलिए सतर्क रहें और कोई भी शुभ काम करने से बचें।