सावन माह 27 जुलाई से शुरू होने वाले हैं जिसमें सभी भगवान शिव की आराधना शुरू कर देते हैं और पूरे महीने उनकी पूजा पाठ कर के अपनी मनोकामना पूरी करते हैं. कहा जाता है सावन का महीना पूरा भगवान शिव का होता है जिसमें खास तौर पर इनकी ही पूजा की जाती है. लेकिन आपको बता दें सिर्फ भगवान शिव ही नहीं बल्कि माता पार्वती का भी महीना होता है जिसमें आप भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती को भी पूजते हैं. जी हाँ, अगर नहीं जानते तो आइये हम बता देते हैं. 
वैसे तो पूरा महीना ही शिवजी का होता है लेकिन सोमवार शिवपूजन के लिए हम खास मानते हैं. उसी तरह मंगलवार को माता पार्वती का दिन होता है जिसे मंगला गौरी के नाम से जाना जाता है. कथाओं की मानें तो अगर ये व्रत अविवाहित कन्याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो उनकी शादी के उनके बढ़ते हैं साथ ही पति की उम्र भी बढ़ती है. इसके अलावा शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं ताकि उनकी सेहत भी ठीक रहे. अगर आप इस व्रत को रखना चाहती हैं तो चलिए जानते हैं उसके विधि विधान.
इस व्रत को रखने के लिए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ वस्त्र धारण करें. इसके बाद माता पार्वती के मूर्ति या फोटो लगा कर उनकी पूजा करें. फोटो को चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर रखकर विधि से पूजन करें. इस दौरान आप ध्यान रखें कि माता को 16 की संख्या बहुत पसंद है. इसलिए जब भी उन्हें कुछ अर्पित करें तो 16 की संख्या में ही करें. जैसे 16 बत्तियों वाला दीपक 16 चीजों का भोग लगाना और 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करना चाहिए.
मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचलित है. लेकिन इस व्रत की तारीखें हर जगह अलग होती हैं. सावन के पहले दिन से ही आप व्रत की शुरुआत कर सकते हैं और हर मंगलवार को माँ पार्वती का पूजन कर सकते हैं.
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