केंद्रीय जल आयोग ने सिंधु जल समझौते को लेकर, डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की इस रिपोर्ट को जम्मू कश्मीर सरकार को सौंप दिया गया। अब इस परियोजना को लेकर, प्रदेश सरकार आंकलन करने जा रही है। यदि,इस प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर लिया जाता है तो फिर, उझ नदी जो कि, रावी की सहायक नदी है, उसका लगभग 6.5 मिलियन एकड़ फुट पानी संग्रहित कर लिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का लाभ बड़े पैमाने पर होगा जो कि,ऊर्जा जरूरतों को पूर्ण करेगा।
इसके जल से लगभग 30 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाएगी। वर्ष 1960 के अंतर्गत पाकिस्तान के साथ होने वाले सिंधु जल समझौते के अंतर्गत, रावी नदी के पानी का उपयोग किया जा सकेगा। वर्ष 2001 में इस तरह के प्रोजेक्ट को लेकर, सरकार की स्वीकृति मिलेगी, इस मामले में केंद्रीय जल आयोग ने कई वर्षों बाद, डीपीआर तैयार की है। यदि, यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो फिर, भारत सही तरह से रावी नदी के जल का उपयोग कर सकता है, अभी इस नदी का जल भारत के उपयोग में नहीं आता और बहकर पाकिस्तान चला जाता है।
उल्लेखनीय है कि, भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी जल समझौता हुआ था। जिसके तहत, यह तय किया गया था कि, सिंधु पूर्वी नदियां जैसे रावी,व्यास और सतलुज का पानी भारत के लिए, आवंटित किया गया। भारत पश्चिमी नदियों के जल में से 3.6 मिलियन एकड़ फुट जल का संग्रहण कर सकता है। पाकिस्तान,पश्चिमी नदियों सिंधु,झेलम और चेनाब के पानी का विद्युत उत्पादन और, सिंचाई के लिए उपयोग कर सकता है।
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