सभी प्रकार के कैंसर में लंग मतलब फेफड़ों का कैंसर सबसे सामान्य है। इसका एक विशेष कारण स्मोकिंग मन जाता है। इसलिए फेफड़ों को बचाने के लिए सिगरेट ना पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि, ये धारणा पूरी प्रकार गलत है कि स्मोक ना करने से आपको फेफड़ों का कैंसर नहीं होगा। ऐसे व्यक्तियों की संख्या बढ़ती जा रही है जो स्मोकिंग ना करने के बाद भी इस कैंसर का शिकार हो रहे हैं। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंग कैंसर के नॉन स्मोकर्स पीड़ितों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है तथा इसकी सबसे अधिक शिकार महिलाएं हो रही हैं।
कैंसर की बीमारी तब होती है जब बॉडी में कोशिकाओं का कंट्रोल बिगड़ जाता है तथा वो गलत दिशाओं में बढ़ने लगता हैं। बहुत ज्यादा सिगरेट पीने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और सरलता से कैंसर की चपेट में आ जाते हैं। स्मोकिंग से होने वाले लंग कैंसर तथा नॉन स्मोकिंग लंग कैंसर में काफी अंतर है। ये अंतर कैंसर बनाने वाली कोशिकाओं की जीन में होता है। नॉन स्मोकर्स में सामान्य रूप से कैंसर ईजीएफआर जीन में परिवर्तन के कारण होता है
नॉन स्मोकर्स में लंग कैंसर की वजह से सिगरेट ना पीने के अतिरिक्त और भी कई ऐसी वजह हैं जिनके कारण फेफड़ों का कैंसर होता है। पैसिव स्मोकिंग को सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी बोला जाता है। इसमें इंसान सीधे-सीधे स्मोक नहीं करता है किन्तु वो दूसरे व्यक्ति की सिगरेट से निकलने वाले धुएं की चपेट में आ जाता है। ऐसे नॉन स्मोकर्स जो सिगरेट पीने वालों के साथ रहते हैं, उनमें लंग कैंसर का संकट 24 फीसदी तक बढ़ जाता है। पैसिव स्मोकिंग से लंग कैंसर के केस निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।