ज्योतिषियों की मानें तो दूसरा सूर्य ग्रहण 02 अक्टूबर को लगेगा। इससे पूर्व सितंबर महीने में साल का दूसरा और अंतिम ग्रहण लगेगा। भारत में दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2024) भी दिखाई नहीं देगा। अतः इस दिन सूतक मान्य नहीं होगा। हालांकि ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का जरूर पालन करें। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करें।
सनातन धर्म में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है। यह खगोलीय घटना पूर्णिमा तिथि पर होती है। धार्मिक मत है कि ग्रहण (Chandra Grahan 2024) के दौरान पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। अतः शास्त्रों में ग्रहण के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही है। जानकारों की मानें तो पृथ्वी और चंदमा के मध्य सूर्य के उपस्थित होने के चलते चंद्र ग्रहण लगता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि अमृत पान के दौरान सूर्य और चंद्र देव ने दानव स्वरभानु को पहचान लिया था।
उन्होंने यह जानकारी भगवान विष्णु को दी। तत्काल से भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर स्वरभानु का वध कर दिया था और स्वरभानु के सर और धड़ को दो विपरीत दिशा में फेंक दिया था। उस समय से स्वरभानु यानी राहु और केतु सूर्य एवं चंद्र देव को अपना शत्रु मानते हैं। राहु द्वारा सूर्य एवं चंद्र को ग्राह्य करने के चलते ग्रहण लगता है। आइए, दूसरे चंद्र ग्रहण के बारे में जानते हैं-
सूतक (Chandra Grahan 2024 Sutak Timing)
ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण के पूर्व समय को सूतक कहा जाता है। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरू होता है। वहीं, सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू होता है। सूतक से लेकर ग्रहण के समय तक शुभ कार्य नहीं किया जाता है। साथ ही खानपान भी नहीं किया जाता है। इस समय बच्चे, वृद्ध एवं बीमार लोगों को केवल खाने और पीने की अनुमति होती है। वहीं, सामान्य जन को सूतक और ग्रहण के दौरान तामसिक भोजन और तामसिक प्रवृति से दूर रहना चाहिए।
कब लगेगा चंद्र ग्रहण ? (Chandra Grahan 2024)
ज्योतिषियों की मानें तो वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को लगने वाला है। चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा। वहीं, चंद्र ग्रहण का समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगा। भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा। भारत में चंद्रोदय का समय संध्याकाल 06 बजकर 37 मिनट पर होगा। अतः भारत में चंद्र ग्रहण का प्रभाव नहीं रहेगा। हालांकि, चंद्र ग्रहण के दौरान शास्त्र द्वारा निर्धारित नियमों का पालन जरूर करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। महामृत्युंजय मंत्र के जप से राहु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।