नियमों में हुआ यह नया बदलाव इस महीने की शुरुआत से लागू हो रहा है।
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमों में क्यों हुआ बदलाव
दरअसल, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमों में बदलाव सिमस्वैप और रिप्लेसमेंट से जुड़ी धोखाधड़ियों को खत्म करने के लिए हुआ है।
ट्राई के मुताबिक, सिम स्वैप या रिप्लेसमेंट का मतलब ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें एक नई सिम को पुराने सिम खोने या काम न करने की वजह से खरीदा जाता है। यह सिम पुराने सिम वाले नंबर पर ही पुराने ग्राहक को दिया जाता है।
ग्राहक मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी नियमों के साथ एक सर्विस प्रोवाइडर से दूसरे में बिना नंबर बदले स्विच कर सकते हैं।
मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी प्रक्रिया में 8 बार हो चुके हैं बदलाव
बता दें, मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी प्रक्रिया को लेकर दूरसंचार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी विनियम, 2009 में समय समय पर बदलाव होते रहे हैं। दूरसंचार मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी विनियम, 2009 में अब तक 8 बार संशोधन किया जा चुका है। अब यह नौंवा संशोधन है।
यूनिक पोर्टिंग कोड के अलोकेशन रिक्वेस्ट हो जाएगी रिजेक्ट
ट्राई ने यूनिक पोर्टिंग कोड के अलोकेशन रिक्वेस्ट को लेकर एक और नया नियम पेश किया है। इस नियम के आधार पर यूनिक पोर्टिंग कोड के अलोकेशन रिक्वेस्ट रिजेक्ट की जा सकती है।
नियम के मुताबिक, अगर कोई यूजर सिम स्वैप या मोबाइल नंबर रिप्लेस की डेट से 7 दिनों के भीतर यूनिक पोर्टिंग कोड के लिए रिक्वेस्ट करता है तो यह रिक्वेस्ट रिजेक्ट हो जाएगी। बता दें, यूनिक पोर्टिंग कोड के लिए पहले यह नियम 10 दिन के टाइम पीरियड से जुड़ा था।