सीएम ने विधायक को आश्वस्त किया कि इस फर्जीवाड़ा की जांच एटीएस ही कर रही है। रायबरेली ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर में बनाए गए जन्म प्रमाणपत्रों की जांच कराई जा रही है। स्थानीय पुलिस सिर्फ एटीएस का सहयोग कर रही है।
रायबरेली जिले में सलोन तहसील क्षेत्र में 19 हजार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र का मामला गहराता जा रहा है। एक बार फिर सलोन विधायक अशोक कुमार ने बृहस्पतिवार की शाम लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और उनसे फर्जीवाड़ा में शामिल आरोपियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मामले की जांच आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) से कराने की बात कही।
इस पर सीएम ने विधायक को आश्वस्त किया कि इस फर्जीवाड़ा की जांच एटीएस ही कर रही है। रायबरेली ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर में बनाए गए जन्म प्रमाणपत्रों की जांच कराई जा रही है। स्थानीय पुलिस सिर्फ एटीएस का सहयोग कर रही है। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि फर्जीवाड़ा में शामिल चाहे फिर जनसुविधा केंद्र संचालक या फिर अन्य आरोपी व अधिकारी हों, किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
दरअसल, सलोन तहसील क्षेत्र में १९ हजार फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनने का मामला उजागर हुआ था। इस मामले में जन सुविधा केंद्र संचालक जीशान, वीडीओ विजय सिंह यादव समेत १७ आरोपियों को अब तक जेल भेजा जा चुका है। जांच में बांग्लादेशियों व रोहिग्यांओं के जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाने की बात सामने आई थी। सलोन विधायक के मामला उठाने के बाद ही इस फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ था। इस मामले को लेकर बीते दिनों विधायक ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। एक बार विधायक ने सीएम के सामने इस फर्जीवाड़ा का मामला उठाते हुए कार्रवाई की मांग की।
बदल रहे विवेचक, कैसे पूरी होगी फर्जीवाड़ा की जांच
फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले की एफआईआर दर्ज होने के बाद से विवेचक बदल रहे हैं। यही वजह है कि फर्जीवाड़ा की जांच की रफ्तार धीमी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसी तरह विवेचक बदलते रहे तो इस फर्जीवाड़ा की जांच कब पूरी होगी। दरअसल, सलोन कोतवाली में दर्ज कराई गई एफआईआर के बाद इसकी विवेचना अपराध निरीक्षक आदर्श कुमार सिंह को सौंपी गई थी।
अपराध निरीक्षक के बीमार होने पर इसकी जांच कोतवाली में ही तैनात दरोगा जय प्रकाश त्रिपाठी को सौंपी गई थी। अब यह जांच शिव प्रकाश के बजाय सलोन कोतवाली प्रभारी जेपी सिंह को सौंप दी गई है। पुलिस सूत्र बताते हैं कि मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद पुलिस अफसरों में इस प्रकरण को लेकर हड़कंप है। प्रकरण की विवेचना तेजी के साथ हो, इसलिए कोतवाली प्रभारी को ही विवेचना की जिम्मेदारी दी है।
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