पिछले तीन साल में सीमेंट की डिमांड में भारी उछाल आया है। इसकी प्रमुख वजह सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना है। साथ ही आवास योजनाओं से भी सीमेंट की बिक्री को बूस्ट मिला है। इसके वित्त वर्ष 2023-24 में इंडस्ट्री की प्रोडक्शन कैपेसिटी दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसके चलते मैन्युफैक्चरर्स को डिमांड पूरी करने के लिए कैपेक्स बढ़ाने की जरूरत पड़ गई है।
भारत की सीमेंट कंपनियां अपना कारोबार बढ़ाने पर काफी ज्यादा फोकस कर रही हैं। वे वित्त वर्ष 2025-27 के दौरान 1,25,000 करोड़ रुपये का कैपिटल एक्सपेंडिचर यानी पूंजीगत व्यय कर सकती हैं। यह अनुमान देश की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने लगाया है।
केयर रेटिंग्स का कहना है कि सीमेंट की अच्छी डिमांड रहने की उम्मीद है, जिसे पूरा करने और अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कंपनियां पूंजीगत व्यय बढ़ा सकती हैं। पूंजीगत व्यय या कैपेक्स का इस्तेमाल लंबी अवधि के असेट को स्थापित करने में किया जाता है, जैसे कि नए कारखाने।
सीमेंट की डिमांड में तगड़ा उछाल
पिछले तीन साल में सीमेंट की डिमांड में भारी उछाल आया है। एक तो सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काफी जोर दे रही है, दूसरे आवास योजनाओं से भी सीमेंट की बिक्री को बूस्ट मिला है। इसके वित्त वर्ष 2023-24 में इंडस्ट्री की प्रोडक्शन कैपेसिटी दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई और मैन्युफैक्चरर्स को डिमांड पूरी करने के लिए कैपेक्स बढ़ाने की जरूरत पड़ गई।
वित्त वर्ष 2025-2029 में 7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ सीमेंट की मांग का परिदृश्य स्वस्थ बना हुआ है। अगले तीन वित्त वर्षों में पूंजीगत व्यय बढ़ाकर सीमेंट कंपनियां बढ़ती मांग को पूरा करेंगी। साथ ही, अपने कारोबार का नए क्षेत्रों में विस्तार भी करेंगी। इस दौरान इंडस्ट्री कुल 130 मिलियन टन सीमेंट पीसने की क्षमता जोड़ सकती है, जो मौजूदा क्षमता का लगभग एक चौथाई है।
मनीष गुप्ता, क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक
पिछली तिमाहियों में सुस्त रही मांग
पिछली कुछ तिमाहियों में सीमेंट की डिमांड में सुस्ती दिखी। ब्रोकरेज का कहना है कि लोकसभा चुनाव के चलते निर्माण गतिविधियां धीमी पड़ गई थीं। साथ ही, कुछ क्षेत्रों में भयंकर गर्मी थी, तो कुछ जगहों पर मानसून समय से पहले आ गया था। श्रमिकों भी किल्लत थी। इन सब फैक्टर के चलते सीमेंट की डिमांड सुस्त रही। इसका सीमेंट कंपनियों के तिमाही नतीजे पर भी दिखा। कुछ को छोड़कर ज्यादातर कंपनियां का प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
सीमेंट कंपनियों के शेयरों का हाल
सीमेंट कंपनियों के शेयरों में फिलहाल करेक्शन देखने को मिल रहा है। पिछले एक महीने के दौरान एनएसई पर सीमेंट कंपनियों के स्टॉक्स में 23 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि इस दौरान निफ्टी-50 सूचकांक सिर्फ 1.2 फीसदी फिसला है। पिछले चार हफ्तों में बर्नपुर सीमेंट 23.3 फीसदी, एसीसी 10.8 फीसदी, श्री सीमेंट 10.5 फीसदी और उदयपुर सीमेंट वर्क्स में 9.5 फीसदी की गिरावट आई। श्री दिग्विजय सीमेंट, अंबुजा सीमेंट्स, जेके लक्ष्मी सीमेंट, बराक वैली सीमेंट्स और सांघी इंडस्ट्रीज में इस दौरान 5 से 8 प्रतिशत के बीच गिरावट आई।
सीमेंट पर क्या है एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा करेक्शन को देखते हुए सीमेंट कंपनियों के शेयरों में निवेश करने का यह अच्छा अवसर हो सकता है। चुनाव और मानसून सीजन खत्म होने के बाद निर्माण गतिविधियों में दोबारा तेजी आ सकती है, जिसका असर डिमांड पर दिख सकता है। साथ ही, सीमेंट के दाम में भी इजाफे का अनुमान है। सीमेंट निर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले पेटकोक का दाम भी 130 डॉलर से घटकर 100 डॉलर के आसपास आ गया है। सीमेंट कंपनियों को इसका भी फायदा मिल सकता है और दूसरी तिमाही में उनका वित्तीय प्रदर्शन बेहतर रह सकता है।