सुनवाई के दौरान द.अफ्रीका ने इस्राइल पर लगाए नरसंहार के आरोप

इस्राइल और  हमास के बीच लंबे समय से युद्ध जारी है। इस बीच, दक्षिण अफ्रीका ने इस्राइल पर गाजा के खिलाफ नरसंहार का आरोप लगाया और मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में पेश किया। सुनवाई के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने अदालत से अनुरोध किया कि वह जल्द से जल्द इस्राइली सैन्य अभियानों को रोकने का आदेश दे। इस बार इस्राइल ने भी अदालत में अपना पक्ष पेश रखा और दक्षिण अफ्रीका के आरोपों को सिरे से नकार दिया। हालांकि, युद्ध शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार है कि इस्राइल ने किसी अंतरराष्ट्रीय जांच में अपना पक्ष रखा हो। इस्राइल इससे पहले तक सभी जांचों को अनुचित और पक्षपाती बताकर ही नकार देता था।

अफ्रीका और इस्राइल ने अदालत में रखा अपना पक्ष
अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई के दौरान दक्षिण अफ्रीका के वकील अदिला हासिम ने कहा कि अदालत में पिछले 13 सप्ताह के सूबत पेश किए गए हैं। हासिम ने कहा कि गाजा के लोग पीड़ित है। गाजा के लोगों के पीड़ा को सिर्फ अदालत का आदेश ही रोक सकता है। सुनवाई के दौरान, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो के माध्यम से अपना पक्ष पेश किया। उन्होंने कहा कि यह एक उल्टी दुनिया है। इस्राइल पर नरसंहार का आरोप लगाया है बल्कि इस्राइल तो नरसंहार से लड़ रहा है। दक्षिण अफ्रीका का पाखंड आसमान तक चिल्लाता है।

अमेरिका ने भी इस्राइल पर लगे आरोपों को नकारा
सुनवाई के बाद इस्राइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लियोर हयात ने ट्वीट कर कहा कि दक्षिण अफ्रीका द्वारा अदालत में पेश किया गया मामला सबसे बड़ा पाखंड है। अदालत में उनकी कानूनी टीम हमास के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के दावे निराधार हैं और झूठे हैं। वहीं, अमेरिका ने अदालती कार्यवाही पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने आरोपों को निराधार बताया।

गाजा में अभी यह है स्थिति
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सात अक्तूबर को आतंकवादी संगठन हमास ने इस्राइल पर 5000 रॉकेट दागे थे, जिसके बाद से इस्राइल ने हमला शुरू कर दिया। इस्राइल के प्रधानमंत्री ने हमास को जड़ से खत्म करने का प्रण लिया है। युद्ध को तीन महीने से अधिक समय बीत गया है। इस दौरान गाजा की 2.3 मिलियन आबादी का 85 फीसदी बेघर हो चुका है। इस्राइली घेराबंदी के कारण भोजन, पानी, दवा सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं की भी कमी हो रही है। आईडीएफ हमास अब भी एक-दूसरे पर हमले कर रहे हैं। लेबनानी आंतकी संगठन हिजबुल्लाह भी हमास के समर्थन में खड़ा है।

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