देश की शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार से सवाल किया है कि जब कोई अपराधी चुनाव नहीं लड़ सकता, तो वह किसी भी पार्टी का प्रमुख कैसे बन सकता है? चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसे कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब माँगा है.
उल्लेखनीय है कि इन दिनों सुप्रीम कोर्ट सजायाफ्ता नेताओं के पार्टी प्रमुख बनने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा है.इस बारे में कोर्ट ने कहा कि जो खुद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो चुका है, वह कैसे उम्मीदवार चुन सकता है. इस गंभीर मामले को कोर्ट ने अपने फैसले के खिलाफ मानते हुए केंद्र सरकार से जवाब माँगा है.कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि चुनाव की शुद्धता के लिए राजनीति में भ्रष्टाचार का विरोध होना चाहिए.
बता दें कि कोर्ट ने कहा कि यह स्कूल या हॉस्पिटल चलाने का मामला नहीं है.जब बात देश का शासन चलाने की आती है, तो मामला अलग हो जाता है.कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सज़ा पाने वाला खुद चुनाव नहीं लड़ सकता लेकिन उसके पार्टी पदाधिकारी बने रहने या नई पार्टी बनाने पर कोई रोक नहीं. एक अपराधी ये तय करता है कि चुनाव में कौन लोग खड़े होंगे. कानून में ये बड़ी कमी है. इसके बाद सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते की मोहलत देते हुए 26 मार्च की अगली सुनवाई तक जवाब देने को कहा.
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