फर्जी जाति प्रमाण के जरिए डिग्री और नौकरी पाने वालों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति फर्जी प्रमाण के साथ पकड़ा जाता है तो उसे डिग्री और नौकरी दोनों से हाथ धोना पड़ेगा।अभी अभी: यूपी में 25 IAS अफसरों का हुआ तबादला, देखें यहाँ ट्रांसफर लिस्ट..
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि वे सजा के हकदार भी होंगे। कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर कोई लंबे समय से नौकरी कर रहा है और दोषी पाया जाता है, फिर भी उसे नौकरी गवानी पड़ेगी।कोर्ट ने कहा कि अगर वो नौकरी में 20 साल भी बिता चुका है और उसकी जाति प्रमाण पत्र फर्जी है तो भी वो नौकरी खोएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
इससे पहले पिछले महीने केंद्र ने कहा था कि जो भी इस तरीके से नौकरी पा चुके हैं उनके जाति प्रमाण पत्र रद्द किए जाएंगे। इसके बाद कोर्ट ने सभी केंद्रीय सरकारी विभागों को निर्देश जारी किए और कहा कि वे उनकी जांच करें जो नौकरियों इस रास्ते से हासिल किए हुए हैं।
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स्टेट ऑफ पर्सनल के मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को इस संदर्भ में जानकारी दी थी। उन्होंने मार्च में बताया कि करीब 1832 ऐसे केस हैं, जिनमें फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए लोगों ने नौकरियां हासिल की है। इसमें 276 को संस्पेंड और निष्काषित किया जा चुका है और 521 कार्रवाई का सामना कर रहे हैं, जबकि 1035 मामले कानूनी प्रक्रिया के लिए पेंडिंग हैं।