साइड रोकने के लिए फेसबुक पहली बार आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग कर रहा है। आपके टाइमलाइन पोस्ट से फेसबुक को पता चल जाएगा कि आप डिप्रेशन में हैं या खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर साइट को ऐसा लगा तो यह तुरंत कम्यूनिटी ऑपेरेशन्स टीम को रिव्यू भेजेगा।
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ऐसे पोस्ट्स को फ्लैग कर देगा। यानी ये पोस्ट फेसबुक की मॉनिटरिंग टीम और आपके फ्रेंड्स की टाइमलाइन पर हाइलाइट होंगे। फिर आपके अकाउंट पर हेल्प नोटिफिकेशन्स आने लगेंगे। जैसे- किसी दोस्त से बात करें, हेल्पलाइन से कॉन्टैक्ट करें, सलाह और मदद लें। हेल्पलाइन नंबर्स देकर, मन शांत करने के टिप्स देकर और फ्रेंड्स सजेस्ट कर मदद दी जाएगी।
अमेरिका में टेस्टिंग शुरू हो चुकी है। बुधवार को जकरबर्ग ने इस नए फीचर के बारे में बताया। ऐसा करने के पीछे कंपनी ने जनवरी की एक घटना का जिक्र किया है, जिसमें मियामी की 14 साल की बच्ची ने रेलवे ट्रैक पर सुसाइड कर लिया था। उसने फेसबुक पर इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की थी। ट्विटर को अकाउंट, ट्वीटिंग पैटर्न पर शक हुआ तो एक्सेस लिमिटेड एब्यूजिव ट्रॉलिंग रोकने के लिए ट्विटर यूजर्स के अकाउंट, एक्टिविटीज पर नजर रखेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी फिल्टर्स ला रही है। आपके एकाउंट में प्रोफाइल फोटो नहीं है, यह फोन नंबर, ईमेल एड्रेस से वेरिफाइड नहीं है तो आप फिल्टर के दायरे में होंगे। उन एकाउंट्स पर बार-बार ट्वीट कर रहे हैं जिन्हें फॉलो नहीं करते या ऐसी एक्टिविटी में शामिल हैं जो कंपनी की नजर में एब्यूजिव है तो आप ट्रॉलिंग के संदेह में होंगे। यूजर ऐसे कीवर्ड्स म्यूट कर सकते हैं जो उन्हें एब्यूजिव लगते हों।
कंपनी ने कहा, ‘हम थॉट शेयरिंग फ्रीडम के पक्ष में है। पर अगर कोई बार-बार ट्विटर के नियम तोड़ेगा तो कार्रवाई करनी पड़ेगी।’ पोस्टिंग पैटर्न में निराशा या दर्द दिखे। आपके पोस्ट पर फ्रेंड ‘क्या तुम ठीक हो’, ‘तुम्हारी फिक्र हो रही है’ जैसे कमेंट कर रहे हैं, तो ये फेसबुक की नजर में आ जाएगा। लाइव स्ट्रीमिंग में हताशा वाली बातें करते हैं, तो स्क्रीन पर हेल्प नोटिफिकेशन्स आने लगेंगे।