यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले यात्री सूर्य कुंड में चावल का उबालकर उसे प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर धाम में दो गर्मकुंड में यात्री स्नान के साथ ही उसके आयुर्वेदिक स्वास्थ्य लाभ भी ले रहे हैं। उन कुंडों में स्नान कर यात्री धाम की पांच किमी की खड़ी चढ़ाई की थकान को भी उतार रहे हैं।
यमुनोत्री धाम में निकलने वाली गर्म धाराएं उस क्षेत्र के प्राकृतिक भिन्नताओं का यात्रियों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती है। यमुनोत्री धाम के मुख्य मंदिर के पास एक गर्मधारा निकलती है। इसे सूर्य कुंड कहा जाता है। धाम में पहुंचने वाले यात्री वहां पर अपने घरों से लाए चावल को उस्में डालकर उबालते हैं और उसके बाद पोटली में बांधकर उसे प्रसाद के रूप में अपने घरों में ले जाते हैं।
वहीं धाम में पहुंंचने वाले सभी यात्री वहीं पर अपनी पूजा तीर्थ पुरोहितों से संपन्न करते हैं। वही इस धारा को ही दो गर्मकुंडों में प्रवाहित किया गया है।
वहां पर यात्री पांच किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर जब यमुनोत्री धाम में पहुंचकर इन कुंडों में स्नान करते हैं। तो उनकी सारी थकान मिट जाती है।
धार्मिक महत्व के लेकर सुरेश उनियाल बताते हैं कि सूर्य कुंड निकलने वाली जलधारा के इस तप्त कुंड में स्नान और पान करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है, जिसका स्कंद पुराण में भी उल्लेख है। वहीं स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी तप्त कुंड में स्नान करने से त्वचा सबंधी बिमारी से भी छुटकारा मिलता है।
आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी डा बिरेंद्र चंद कहते हैं कि इस गर्म पानी में सोडियम पाया जाता है। इससे कुंड में स्नान करने से पुराने त्वचा रोग भी ठीक होता है।
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