सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। आत्मा सूर्य से ही जन्म लेती है और सूर्य में ही विलीन होती है। यह पितरों को संतुष्ट करने वाला है।
रात्रि के समय आसुरी शक्ति प्रबल होती है जो मुक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। यही कारण है कि शास्त्रों में सूर्यास्त के बाद मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं करने की बात कही गई गई है।
ऐसे व्यक्ति के शव को आदर पूर्वक तुलसी के पौधे के समीप रखना चाहिए और शव के आस-पास दीप जलाकर रखना चाहिए। शव को रात में कभी भी अकेले या विराने में नहीं छोड़ना चाहिए।
मृतक व्यक्ति की आत्मा अपने शरीर के आस-पास भटकती रहती है और अपने परिजनों के व्यवहार को देखती है इसलिए परिवार के सदस्यों को मृतक व्यक्ति के शव के पास बैठकर भगवान का ध्यान करना चाहिए ताकि मृतक व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले।
आत्मा निकल जाने के बाद शरीर एक खाली घर की तरह हो जाता है। ऐसे में हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दुनिया में मौजूद परालौकिक दुनिया की नकारात्मक आत्माएं ऐसे शरीर को अपना घर बना सकती हैं।