यूपी विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो चुका है। रविवार शाम हुई घोषणा के मुताबिक समाजवादी पार्टी 298 सीटों और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस गठबंधन में प्रियंका गांधी ने ‘टॉप भूमिका’ निभाई। रविवार सुबह अखिलेश यादव ने प्रियंका को फोन किया और इसके बाद गठबंधन का रास्ता साफ हो गया।

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एक समय ऐसा भी आया था जब यूपी में काफी दिनों से प्रस्तावित यह गठबंधन लटकता दिख रहा था। समाजवादी पार्टी ने 200 से अधिक सीटों पर कैंडिडेट्स घोषित कर दिए थे। इनमें वे सीट भी थीं जिनपर फिलहाल कांग्रेस के विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक ऐसी स्थिति में कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने मामले में हस्तक्षेप किया।
एक बार फिर से समाजवादी पार्टी से संपर्क की कोशिशें शुरू हो गईं। सूत्रों के मुताबिक इस बातचीत के केंद्र बिंदु में प्रियंका गांधी थीं। अंततः कांग्रेस गठबंधन में 100 से अधिक सीटें पाने में सफल रही। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि समाजवादी पार्टी उन सीटों से अपने उम्मीदवार वापस लेगी जिनपर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव के एक साथ चुनाव प्रचार करने की भी संभावना है।
इस गठबंधन के लिए प्रियंका गांधी जिस तरह से सक्रिय दिखीं उसे 2019 में उनके संभावित राजनीतिक ‘उदय’ के रूप में भी देखा जा रहा है। गठबंधन में कांग्रेस को 100 सीटें मिलना पार्टी के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे एक और संदेश जा रहा है कि शायद अपनी पार्टी की आंतरिक लड़ाई की वजह से अखिलेश कैंप अकेले चुनाव में उतरने के लिए तैयार नहीं था।
कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन से एक और संदेश देने की कोशिश की गई है कि बीजेपी के खिलाफ एसपी ही एकमात्र ‘सेक्युलर चुनौतीदाता’ है। एसपी को ऐसे संकेतों की जरूरत भी थी क्योंकि बीएसपी भी मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुटी हुई है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह गठबंधन दोनों दलों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। 2012 में दोनों दलों के वोट शेयर (40 फीसदी) के एक साथ आने से जीत की संभावना बढ़ सकती है। दोनों दलों को एक दूसरे के वोट बैंक और कार्यकर्ताओं का सहयोग मिलेगा।
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