लॉस एंजिलिस: एक अध्ययन के अनुसार सोशल मीडिया किशोरों के वास्तविक जीवन और उनके संबंधों को प्रभावित कर सकता हैं. अमेरिका में केलिफोर्निया विश्वविद्यालय,इरविन के शोधकर्ताओं के अनुसार सोशल मीडिया से किशोरों का जीवन प्रभावित होने की आशंका है. जर्नल नेचर में यह शोध प्रकाशित हुआ है. प्रोफेसर कैंडिस ओडगर्स ने विभिन्न मौजूदा अध्ययनों के आकडों का विश्लेषण किया. ओडगर्स ने कहा कि प्रमाणों से अब तक यह पता चला है कि स्मार्टफोन पहले से ही किशोरों की समस्याओं को दर्शाते दर्पण के रूप में काम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, निम्न आय वर्ग के परिवारों का कहना है कि सोशल मीडिया का प्रभाव वास्तविक जीवन में बढता जा रहा है और इसके कारण ऑफलाइन होने पर और झगड़े होते है तथा स्कूलों में समस्याएं सामने आती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ओडगर्स द्वारा अन्य अध्ययनों की समीक्षा की गई जिनसे पता चलता है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के किशोरों के लिए सोशल मीडिया से जुड़ी समस्याओं से निपटने में अभिभावकों, स्कूलों या अन्य सामाजिक संगठनों से अतिरिक्त समर्थन की जरूरत है.
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि कई युवाओं में ‘असामान्य’ व्यवहार और जीवनशैली संबंधी बदलाव देखे गए हैं जिनके कारण उनकी शिक्षा और व्यक्तिगत संबंधों पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. दिल्ली के शीर्ष के स्वास्थ्य संस्थानों के मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि चिंता की बड़ी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में लोगों को यह पता भी नहीं है वे इस समस्या से पीड़ित हैं.
फेसबुक तथा ट्वीटर जैसे प्लेटफॉर्म दोधारी तलवार साबित हो रहे हैं
दक्षिण दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. संदीप वोहरा ने बताया, ‘सोशल मीडिया और फेसबुक तथा ट्वीटर जैसे प्लेटफॉर्म दोधारी तलवार साबित हो रहे हैं. या तो ज्यादातर युवाओं का इन पर शोषण होता है या फिर उन्हें इसकी लत लग जाती है. दोनों ही मामलों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं.’ वोहरा ने बताया कि अस्पताल में हर हफ्ते ऐसे 80 से 100 मरीज आते हैं जिनमें इंटरनेट की लत के कारण उत्पन्न हुए विकार के मरीज भी हेते हैं.
सर गंगाराम अस्पताल की बाल एवं किशोर मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ डॉ. रोमा कुमार कहती हैं कि सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल करने वाले युवा ‘अपने जीवन का नियंत्रण अन्य लोगों के हाथों में दे देते हैं.’ कल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाएगा. एम्स के मनोविज्ञान विभाग में प्राध्यापक डॉ. राजेश सागर के मुताबिक सोशल मीडिया के विवेकपूर्ण इस्तेमाल का प्रशिक्षण स्कूल स्तर पर ही दिया जाना चाहिए.
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