स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है जो आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। बार-बार सांस रुकने के कारण यह दिल (Heart Disease) को भी भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इसकी वजह से दिल को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने डॉक्टर से बात की। आइए जानें उन्होंने क्या जवाब दिए।
सोना हमारी सेहत के लिए कितना जरूरी होता है, इसका अंदाजा हम सभी को है। अच्छी सेहत के लिए रोज कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूरी होती है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि इसमें कोई खलल न पड़े। दरअसल, इस समय हमारा शरीर दिनभर की थकान को दूर करता है और रिलैक्स होता है। हमारे जरूरी ऑर्गन्स जैसे दिल और दिमाग के लिए भी नींद बहुत जरूरी होती है। लेकिन नींद पूरी न होने से या बार-बार नींद टूटने की वजह से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। नींद से जुड़ी एक गंभीर समस्या है स्लीप एपनिया (Sleep Apnea), जिसमें सोते समय व्यक्ति की बार-बार सांस रुकने लगती है।
स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) के कारण दिमाग व्यक्ति को जगा देता है, ताकि वह फिर से सांस लेना शुरू कर सके। इस समस्या के काफी गंभीर परिणाम भोगने पड़ सकते हैं, जिनमें दिल की बीमारियों का खतरा भी शामिल है। कैसे स्लीप एपनिया दिल को प्रभावित करता है (Sleep Apnea effects on heart) और इसे कैसे मैनेज किया जा सकता है (Heart Health Tips)? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने डॉ. बिमल छाजर ( एम्मस के पूर्व कंसल्टेंट और SAAOL हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक) से बात की। आइए जानें उन्होंने इस बारे में क्या जानकारियां दी।
क्या है स्लीप एपनिया ?
स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति अचानक से सांस लेना बंद कर देता है। ऐसा सिर्फ सोते समय होता है, इसलिए इसे स्लीप एपनिया कहा जाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के मुताबिक, ऐसा दो कारणों से होता है। पहला कारण है- श्वांस नली ब्लॉक होना और दूसरी वजह है- दिमाग का ब्रीदिंग को कंट्रोल न कर पाना।
सांस न ले पाने की वजह से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और जान बचाने के लिए व्यक्ति की नींद टूट जाती है, जिसके बाद वह सांस लेना फिर से शुरू कर देता है। लेकिन सोने पर यह समस्या दोबारा शुरू हो जाती है। इसके कारण सुकून की नींद नहीं मिल पाती, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है।
स्लीप एपनिया के प्रकार
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपिनया (OSA)- यह स्लीप एपनिया का सबसे कॉमन प्रकार है। इसमें गले की मांसपेशियां सोते समय रिलैक्स हो जाती हैं, जिसके कारण श्वांस नली पर दबाव पड़ने लगता है। इस वजह से सांस लेने में रुकावट आती है और हवा फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाती।
- सेंट्रल स्लीप एपनिया (CSA)- इसमें दिमाग ब्रीदिंग को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाता है। वह सांस लेने के लिए महत्वूपर्ण मांसपेशियों को ठीक तरह से सिग्नल नहीं भेज पाता है, जिसकी वजह से सोते समय व्यक्ति की सांस रुकने लगती है।
- कॉम्पलेक्स स्लीप एपनिया- यह मिक्स स्लीप एपनिया के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह CSA और OSA से मिलकर बनता है।
कैसे करता है दिल को प्रभावित?
स्लीप एपनिया की वजह से दिल पर भी काफी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इस बारे में डॉ. छाजर बताते हैं कि स्लीप एपनिया का सबसे सामान्य रूप ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की वजह से दिल से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। सोते समय सांस लेना रुकने की वजह से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है, जिसके कारण दिल पर काफी दबाव पड़ता है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऑक्सीजन का स्तर कम होने की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है, जो दिल को प्रभावित करता है। यह समस्या आगे चलकर क्रॉनिक हाइपरटेंशन की वजह भी बन सकती है। इसके आगे उन्होंने बताया कि स्लीप एपनिया की वजह से हार्ट एरिथमिया या दिल का अनियमित धड़कना, एट्रियल फिब्रिलेशन, दिल से जुड़ी अन्य बीमारियां, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा कंडिशन का भी जोखिम बढ़ जाता है।
दरअसल, स्लीप एपनिया सामान्य कार्डियक फंक्शन्स को प्रभावित करता है, जो हार्ट फेलियर की वजह बन सकता है या जिन लोगों में यह समस्या है, उनकी स्थिति को और गंभीर बना सकता है। इसलिए स्लीप एपनिया के मरीजों को दिल की खास देखभाल करने की जरूरत होती है। खासकर वे लोग जरूर सावधानी बरतें, जो पहले से किसी दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं।
कैसे रखें दिल का ख्याल?
डॉ. छाजर बतात हैं कि लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाकर दिल की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है।
- वजन नियंत्रित करें- मोटापा स्लीप एपनिया और दिल की बीमारियों, दोनों का ही जोखिम कारक है। इसलिए सही वजन होना बेहद जरूरी है। ऐसे में एक्सरसाइज करके और डाइट में सुधार करके वजन को नियंत्रित किया जा सकता है और दिल को स्वस्थ रखा जा सकता है।
- संतुलित आहार खाएं- अपनी डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करें। इससे दिल की सेहत बनाए रखने में मदद मिलेगी और वजन भी नियंत्रित रहेगा। साथ ही, जंक और प्रोसेस्ड फूड्स न खाएं। उनसे कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जो दिल के लिए हानिकारक है।
- स्मोकिंग और ड्रिंकिंग न करें– स्मोक करने और शराब पीने की वजह से स्लीप एपनिया की सम्सया और गंभीर हो सकती है। साथ ही, ये हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा देते हैं। इसलिए इन दोनों से ही परहेज करें।
- डायबिटीज कंट्रोल करें- अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं या प्रीडायबेटिक हैं, तो कोशिश करें कि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करें। ब्लड शुगर बढ़ने की वजह से भी दिल को नुकसान पहुंचता है। साथ ही, इससे शरीर में सूजन भी बढ़ सकती है, जो रक्त धमनियों के लिए हानिकारक होता है।
- एक्सरसाइज करें- एक्सरसाइज करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है, फेफड़े मजबूत बनते हैं और वजन नियंत्रित रहता है। इसलिए रोज कम से कम 30 मिनट जरूर एक्सरसाइज करें।
स्लीप एपनिया कैसे मैनेज करें?
- कंटिन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर CPAP) स्लीप एपनिया का सबसे प्रभावी इलाज है। यह सोते समय व्यक्ति की श्वांसनली को खुला रखता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ नहीं होती और बार-बार सांस रुकने की समस्या कम होती है और ऑक्सीजन का सही स्तर बरकरार रखने में मदद मिलती है।
- सेडेटिव्स या स्लीपिंग पिल्स का सेवन न करें। इनसे गले की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं, जिसके कारण स्लीप एपनिया की समस्या गंभीर हो सकती है।
- एलर्जी या नाक बंद होने की समस्या को कम करने की कोशिश करें, ताकि सांस लेने में तकलीफ न हो। इसके लिए दवाएं, नेजल स्प्रे और ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें।
- डेंटल डिवाइस, जो जबड़ों और दीभ की पोजिशन को सही रखते हैं, ताकि सांस लेने में तकलीफ न हो, का इस्तेमाल करें। ये माइल्ड स्लीप एपनिया को मैनेज करने में कारगर हैं।