स्वच्छ भारत सर्वेक्षण की नेशनल रैंकिंग में छह पायदान फिसला नोएडा

बीते तीन वर्षों से स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में इंदौर को पछाड़ने का सपना देख रहे नोएडा को 2023 में बड़ा झटका लगा है। नेशनल रैंकिंग के टॉप-10 में जगह बनाना तो दूर नोएडा इस बार बीते वर्ष की तुलना में छह पायदान फिसलकर 17वें स्थान पर पहुंच गया। ऐसे में नोएडा का देश के 10 सबसे साफ सुथरे शहरों की श्रेणी में आना सपना ही रह गया।

नोएडा प्राधिकरण का दावा है कि 10 लाख निवासियों वाले शहरों की कैटेगरी में नोएडा को दूसरा स्थान मिला है, जबकि पिछले वर्ष नोएडा पांचवें स्थान पर था। इस श्रेणी में सुधार की बात कही गई। हालांकि केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़े केवल एक लाख से कम और एक लाख से अधिक की जनसंख्या पर आधारित रहे। एक लाख से अधिक की जनसंख्या की कैटेगरी में नोएडा को 446 शहरों में 14वें स्थान पर दर्शाया गया है। वहीं 4477 शहरों की ओवरऑल नेशनल रैंकिंग में नोएडा 17वें स्थान पर है।

5 स्टार रैंकिंग हासिल करने वाला यूपी का इकलौता शहर 
नोएडा को वाटर प्लस के साथ यूपी में गारबेज फ्री सिटी की रैंकिंग में 5 स्टार मिला। यह यूपी का एकमात्र शहर बना। वाटर प्लस के प्रमाण पत्र के लिए नोएडा पिछले तीन वर्षों से प्रयासरत था। इसके अलावा यूपी के सबसे साफ सुथरे शहरों में नोएडा लगातार दूसरे वर्ष पहले पायदान पर बना रहा। पिछले वर्ष भी नोएडा को यूपी में पहला स्थान मिला था। दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने यूपी के क्लीन सिटी के तौर पर नोएडा को पुरस्कृत किया। इस मौके पर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम, एसीईओ संजय खत्री, डीजीएम एसपी सिंह, वरिष्ठ प्रबंधक आरके शर्मा सहित अधिकारियों की टीम मौजूद रही।

तीन चार माह की लापरवाही पड़ी भारी 
वर्ष 2018 से अब तक के स्वच्छता के सफर में जनमानस के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए विभिन्न स्थानों पर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सूखे एवं गीले कूड़े के लिए अलग-अलग डस्टबिन, कूड़े को घर-घर से उठाने, इसकी निगरानी कमांड कंट्रोल सेंटर से करने, मेकानिकल स्वीपिंग मशीन से सफाई, नालों में बंबू स्क्रीन लगाना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, पिंक टॉयलेट, सीएंडडी वेस्ट प्लांट समेत कई प्रकार की सुविधाएं शहर के लोगों को दी है। हालांकि बीते वर्ष करीब तीन-चार महीने के लिए जन स्वास्थ्य विभाग ने काम में काफी लापरवाही की। इसका खामियाजा नेशनल रैंकिंग में देखने को मिल रहा है।

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