भारतीय सेना के जांबाज सपूत हवलदार हंगपन दादा जिस रेजीमेंट का हिस्सा थे उसे आतंक के लिए मौत का दूसरा नाम माना जाता है। करीब 17000 आतंकवादियों को नेस्तनाबूत करने वाली सेना की ये रेजीमेंट देश की सबसे घातक सैन्य रेजीमेंट्स में से एक मानी जाती है। जानें हंगपन दादा से जांबाजों की इस रेजीमेंट से जुड़ी बड़ी बातें। तस्वीरें.

हंगपन दादा सेना की राष्ट्रीय राइफल्स नाम की रेजीमेंट के एक जांबाज जवान थे जिन्होंने कश्मीर की शमसाबरी रेंज में 13,000 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्र में पीओके की तरफ से उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे 4 आतंकियों को मार गिराया था।
दरअसल भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट को काउंटर इनसरजेंसी ऑपरेशन के लिए इसके महारथ के लिए जाना जाता है। हजारों आतंकियों को नेस्तनाबूत करने वाली यह रेजीमेंट आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम कही जाती है।
अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और 1500 से ज्यादा सेना मेडल जैसे विशिष्ट पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी इस रेजीमेंट ने हजारों आतंकियों को नेस्तनाबूत किया है ।
सेना की इस फौज के जवानों ने देश के कई इलाकों खासतौर से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और उग्रवाद को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
राष्ट्रीय राइफल्स को सैन्य कार्रवाई के उसके कौशल के कारण सेना की सबसे तेज और घातक टुकड़ियों में से एक माना जाता है । राष्ट्रीय राइफल्स को पूरे जम्मू-कश्मीर में अलग अलग जगहों पर तैनाती दी गई है ।
इनमें कश्मीर के अनंतनाग, डोडा, बारामुला, पूंछ, कुपवाड़ा और किश्तवाड़ जैसे जिले शामिल हैं । राष्ट्रीय राइफल्स में कुल 66 बटालियन हैं
इन सभी बटालियन के जवानों के पास सेना के सबसे हाइटेक हथियार मौजूद होते हैं ।
राष्ट्रीय राइफल्स ने अब तक करीब 17000 हजार आतंक वादियों को उनके खतरनाक मंसूबे कामयाब करने से रोका है
एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने अब तक करीब 8500 आतंकवादियों को ढे़र किया है ।
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