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शुक्रवार सुबह कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना के बीच बिजली के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई। बिजली दरों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्ष पर हमला बोलते हुए संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि अखिलेश सरकार ने कभी बिजली नहीं दी, और अब बिजली की बात कर रहे हैं।
 
मंत्री के बयान से बौखलाए विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और वेल में जाकर बैठ गए। इसके चलते कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
गौरतलब है कि पहले दिन भी सपा और बसपा विधायकों ने इसी मुद्दे को लेकर जमकर नारेबाजी की थी। जिसके चलते कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था।
बिजली के मुद्दे पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष बिजली के मुद्दे पर बहस नहीं सिर्फ हंगामा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि बहस करेंगे तो पिछली सरकार के काले कारनामें सामने आएंगे। इसलिए ये बहस के नाम पर सिर्फ हंगामा कर रहे हैं।
बिजली की बढ़ी हुई दरों विपक्ष के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि अब किसान को बिजली मिल रही है। पहले डीजल से पंप चलाना पड़ता था तो ज्यादा खर्च होता था। बिजली से उन्हें सहूलियत मिलेगी।
सपा सरकार में बिजली की हालत खस्ता थी। हमने बिजली की सप्लाई से लेकर ट्रांसफार्मर के रखरखाव तक काम किया है। हमारी सरकार द्वारा किसानों और नौजवानों के हित में किये जा रहे काम सपा सरकार को पच नहीं रहे। वंशवाद और जातिवाद की राजनीति खत्म न हो जाए इसलिए सपा बहस के बजाए हंगामा कर रही है।
उन्होंने कहा कि हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रख रहे हैं। सरकार विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है। यदि सरकार सदन में इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहती है तो उसे पहले बिजली की दरों को वापस लेना होगा।
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