देवभूमि में हनुमानजी का एक ऐसा मंदिर है जहां पेड़ की पत्तियां भी राम नाम जपती है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।भवाली में अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कैंची धाम की स्थापना बाब नीब करोरी ने की थी, लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है कि बाबा ने नैनीताल में एक और मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर को हनुमानगढ़ी के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर नैनीताल-हल्द्वानी नेशनल हाईवे पर नैनीताल शहर से साढ़े तीन किमी. की दूर पर स्थित है। मंदिर में साल भर भक्तों का मेला लगा रहता है। यहां लोग मन्नतें मांगते हैं।
1953 में बाबा ने इस मंदिर को बनवाया था। मंदिर बनने से पहले यहां पर मिट्टी का एक टीला था, जहां पर बाबा नीब करोरी ने लगातार एक साल तक रामनाम का भजन कीर्तन किया था।
स्थानीय लोग बताते हैं कि तब यहां घनघोर जंगल था और बाबा की तपस्या के बाद जंगल के पेड़ भी राम का नाम जपने लगे। राम नाम के कीर्तन के बाद बाबा ने यहां विशाल भंडारा कराया था।
प्रसाद बनाते वक्त घी कम पड़ गया तो बाबा ने पास रखा पानी से भरा कनस्तर कढ़ाई में पलट दिया। देखते ही देखते वह पानी घी में बदल गया।
वर्तमान में मंदिर हनुमान जी की मूर्ति के अलावा अष्टधातु की बनी भगवान राम, कृष्ण और सीता की मूर्ति व बाब नीब करोरी महाराज की मूर्ति है।
मंदिर में हनुमान मंदिर के अलावा देवी मंदिर, शिव मंदिर और माता अंजना का मंदिर है। राम नवमी को यहां विशेष पूजा और भंडारा होता है।