11 अप्रैल को चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि (हनुमान जयंती) है. सभी के कण कण में विराजे श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं. शास्त्रों के अनुसार माता सीता के वरदान के प्रभाव से बजरंग बली को अमर बताया गया है. ऐसा माना जाता है आज भी जहां रामचरित मानस या रामायण या सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा एवं भक्ति से किया जाता है वहां हमारे अंजनीनंदन श्री हनुमानजी अवश्य प्रकट होते हैं. इन्हें प्रसन्न करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं.
दिनांक- 11 अप्रैल 2017, दिन- मंगलवारयदि कोई व्यक्ति पूरी हनुमान चालीसा का पाठ करने में असमर्थ रहता है तो वह अपनी मनोकामना के अनुसार केवल कुछ पंक्तियों का भी जप कर सकता है. वैसे भी हनुमान जी के जन्म की अनेक दिव्य एवं रहस्यमयी कथाएं हैं. अगस्त्य संहिता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी मंगलवार को स्वाति नक्षत्र और मेष लगन में भगवान शंकर ने हनुमान के रूप में अंजना के गर्भ से अवतार लिया था और उसी दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. इंदौर के प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर में भी हनुमान जयंती की जोर शोर से तैयारियां की जा रही है. रणजीत हनुमान मंदिर जिसकी ख्याति आज इंदौर के बाहर तक फैली हुई है. हनुमान जयंती के दिन बाबा रणजीत को विशेष श्रृंगार के जरिये सजाया जाएगा. तथा 18 अप्रैल को बाबा का विशाल भंडारा रखा गया है.
हर कहीं हो रही हनुमान जयंती की तैयारियां, आया ऐसा दुर्लभ योग
जिसके लिए सभी धर्मप्रेमी जनता बाबा का प्रसाद ग्रहण करेगी. भारतीय ज्योतिष पंचांगों के अनुसार कुछ विद्वान हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास कृष्ण पक्ष के मेष लगन की चतुर्दशी मंगलवार को सायंकाल के समय मानते हैं. कुछ विद्वान ‘चैत्र-मासि सिते पक्षे हरि दिन्यां मघाभिद्ये, नक्षत्र स समुत्पन्नो हनुमान रिपुसूदन:’ के तहत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और मघा नक्षत्र में श्री हनुमान जी को अवतरित मानते हैं. ऐसे में कुछ विद्वान चैत्र मास के मंगलवार और कुछ शनिवार की पूर्णिमा को ही हनुमान जी का जन्म दिवस मानते हैं. उसी के आधार पर देशभर में 11 अप्रैल, मंगलवार की पूर्णिमा को ही हनुमान जयंती उत्सव मनाया जा रहा है. विद्वानों के अनुसार, कल त्रेता युग जैसा संयोग पुन: बनेगा. हनुमान जी के प्रिय वार मंगलवार के साथ पूर्णिमा तिथि और चित्रा नक्षत्र रहेगा. सोने पर सुहागे का काम कर रहे हैं गजकेसरी और अमृत योग. जिन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चल रही है उनके लिए कल का दिन खास है. हनुमान जी मंगलवार के स्वामी हैं. शनिदेव ने उन्हें वचन दिया था की वह उनके भक्तों पर अपनी कृपा रखेंगे. मंगल अथवा शनि के कारण अगर आपके पारिवारिक जीवन में परेशानियां आ रही हैं, छोटी-छोटी दुर्घटनाओं के कारण कष्ट प्राप्त हो रहे हैं, तो हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा विशेष लाभप्रद रहेगी. मंगल-शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र अधिक शुभ होते हैं. ज्योतिषशास्त्र में वर्णित है कि इस कुप्रभाव को दूर करने के लिए हनुमान जयंति से अधिक शुभ दिवस कोई हो नहीं सकता. हनुमान जयंती को चैत्र शुक्ल पुर्णिमा के दिन मनाया जाता है.
हनुमान जयंती….उपाय करें तो मिले कृपा
हनुमान जी को शिवजी का ग्यारवा अवतार माना जाता है. हनुमान जी सच्चे राम भक्त थे जिन्होंने जन जन के कल्याण के लिए पृथ्वी पर जनम लिया था. अगर आप अपने जीवन की सभी समस्याओ को दूर करके धन लाभ की इच्छा रखते है तो हनुमान जयंती के दिन किये गए कुछ उपाय आपको पूरा फल दे सकते है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिन 11 अप्रैल को आएगा. इस दिन त्रेता युग जैसे ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं. यह संयोग लगभग 120 वर्ष बाद आ रहा है. इस दिन अमृत योग का संयोग है साथ ही चित्रा नक्षत्र और गजकेसरी योग बन रहा है. ऐसे में इस दिन भगवान श्री हनुमान की आराधना करने वालों को विशेष फल मिलेगा. मंगल और शनि से पीड़ितों को भगवान श्री हनुमान के पूजन से राहत मिल सकती है. इस दिन यदि मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य व्यक्ति की सेवा की जाए तो पुण्यलाभ मिल सकता है. यदि ऐसे में इस दिन भगवान श्री हनुमान जी को देशी घी के रोट का भोग लगाया जाए तो भगवान प्रसन्न होते हैं. श्री हनुमान जी को सिंदूरी रंग की लाल लंगोट समर्पित करने और भगवान श्री हनुमान जी का ध्वज छत पर लगाने से भी लाभ मिल सकता है. श्री हनुमान चालिसा का पाठ करना बजरंग बाण का पाठ करना और सुंदरकांड का पाठ करना विशेष फलदायी होता है. भगवान श्री हनुमान को कलयुग में अष्ट चिरंजीव में से एक माना जाता है. इस कारण इनकी साधना का विशेष फल मिलता है. हनुमान जयंती के दिन भगवान का जन्म माना गया है ये माता अंजनि और पवन के पुत्र माने गए हैं.
जयंती पर जपे हनुमानजी के ये बारह नाम
आइये जानते है क्या है हनुमान जयंती के दिन किये जाने वाले उपाय-
1-हनुमान जयंती के दिन प्रातःकाल में स्न्नान करके हनुमान जी के मंदिर जाकर बजरंगबाण का पाठ करे.
2-इस दिन हनुमान जी को गुलाब की माला अर्पित करे. इस दिन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए ये सबसे अच्छा और सरल तरीका है.
3-हनुमान जी के सामने दो दिए जलाये. एक दिए में सरसों का तेल डाले और एक दिए में शुद्ध घी डाले और फिर हनुमान चालीसा का का पाठ करें.
4-अगर आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है तो इस दिन पीपल के 11 पत्ते पर श्रीराम का नाम लिखकर हनुमानजी को चढ़ाये.
5- रोज हनुमान जी की मूर्ति के आगे पंचमुखी दिया जलाये.
दोषों को समाप्त करे हनुमानजी की पारद निर्मित मूर्ति
करें ये उपाय, होगा शांत शनि का प्रकोप कम
हनुमान जी के निमित्त मंगलवार को व्रत रखें. हनुमान चालीसा, शनि स्तोत्र का पाठ करें. शनि की वस्तुओं का दान करें.
लाल रंग का लंगोटा हनुमान जी को अर्पित करें.
लाल वस्त्र में दो मुठ्ठी मसूर की दाल बांधकर किसी भिखारी को दान करें.
हनुमान जी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाएं.
लाल चंदन की अभिमंत्रित माला धारण करें.
शनि रत्न नीलम तथा उपरत्न नीली धारण करने से भी शनि की अशुभता कम हो सकती है परन्तु कुंडली के उचित विशेषण के पश्चात ही इसे धारण करें.
ये है हनुमान जयंती पर किये जाने वाले ख़ास उपाय
वैसे तो हनुमान चालीसा की हर चौपाइ और दोहे चमत्कारी हैं लेकिन कुछ ऐसी चौपाइयां हैं जो बहुत जल्द असर दिखाती हैं. यहां जानिए कुछ खास चौपाइयां और उनके अर्थ. साथ ही जानिए हनुमान चालीसा की किस चौपाई से क्या चमत्कार होते हैं…
रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।।
यदि कोई व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है तो उसे शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति मिलती है. इस पंक्ति का अर्थ यह है कि हनुमानजी श्रीराम के दूत हैं और अतुलित बल के धाम हैं. यानि हनुमानजी परम शक्तिशाली हैं. इनकी माता का नाम अंजनी है इसी वजह से इन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी को पवन देव का पुत्र माना जाता है इसी वजह से इन्हें पवनसुत भी कहते हैं.
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
यदि कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की केवल इस पंक्ति का जप करता है तो उसे सुबुद्धि की प्राप्ति होती है. इस पंक्ति का जप करने वाले लोगों के कुविचार नष्ट होते हैं और सुविचार बनने लगते हैं. बुराई से ध्यान हटता है और अच्छाई की ओर मन लगता है. इस पंक्ति का अर्थ यही है कि बजरंगबली महावीर हैं और हनुमानजी कुमति को निवारते हैं यानि कुमति को दूर करते हैं और सुमति यानि अच्छे विचारों को बढ़ाते हैं.
बिद्यबान गुनी अति चातुर।
रामकाज करीबे को आतुर।।
यदि किसी व्यक्ति को विद्या धन चाहिए तो उसे इस पंक्ति का जप करना चाहिए. इस पंक्ति के जप से हमें विद्या और चतुराई प्राप्त होती है. इसके साथ ही हमारे हृदय में श्रीराम की भक्ति भी बढ़ती है. इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी विद्यावान हैं और गुणवान हैं. हनुमानजी चतुर भी हैं. वे सदैव ही श्रीराम के काम को करने के लिए तत्पर रहते हैं. जो भी व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है उसे हनुमानजी की ही तरह विद्या, गुण, चतुराई के साथ ही श्रीराम की भक्ति प्राप्त होती है.