दोस्तों क्या आप हनुमान जी के बारे में जानते हैं कि उनके कोई भाई भी थे.
इस बात को शायद बहुत हीं कम लोग जानते होंगे.
तो चलिए हम आपको बताते हैं कि हनुमान जी के भाई कितने थे.
वैसे तो रामचरितमानस में हनुमान जी की कीर्ति मिलती है. लेकिन इससे पहले के ग्रंथों में हनुमान जी के जीवन से जुड़ी कई बातों का पता चलता है. आनंद रामायण, अद्भुत रामायण, वाल्मीकि रामायण इत्यादि सैकड़ों रामायण के अलावा पुराणों में हनुमान जी का यशगान हुआ है.
हनुमान जी सिर्फ एक ऐसे देवता हैं जो बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. जो उनकी भक्ति करता है, उन पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आता और वो व्यक्ति हर तरह से भय मुक्त रहता है.
पुराणों में हनुमान जी के बारे में कई जानकारी दी गई है. पुराणों के अनुसार हनुमानजी के 5 और भाई थे.
उन सब की शादी हुई थी. ‘ब्रह्मांडपुराण’ में वानरों की वंशावली के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसी में हनुमान जी के भाइयों का जिक्र भी मिलता है.
कहा जाता है कि हनुमानजी अपने भाइयों में सबसे बड़े थे.
हनुमान जी के भाइयों के नाम हैं – धृतिमान, गतिमान, केतुमान, श्रुतिमान, मतिमान. हनुमान जी के इन सभी भाइयों की शादी हो चुकी थी और उनके संतान भी थे.
ब्रह्मांड पुराण में लिखा गया है कि कुंजर की पुत्री अनजाना से केसरी का विवाह हुआ था. अंजना बहुत हीं खूबसूरत थीं. इन्हीं के गर्भ से वायु के अंश हनुमान जी का जन्म हुआ था और इसी प्रसंग में हनुमान जी के भाइयों के बारे में भी बताया गया है.
हनुमान जी के जन्म को लेकर बताया जाता है कि समुद्र मंथन के बाद भगवान भोले शंकर ने विष्णु भगवान का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की थी, जो उन्होंने असुरों और देवताओं को दिखाया था.
उनका आकर्षक रुप देखकर वो कामातूर हो गए थे. इसके बाद उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया था. शिवजी के बीज को वायुदेव ने वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया था और इस तरह वानर रूप में हनुमान जी का जन्म हुआ था.