हर चार में से एक भारतीय है इस बड़े रोग का शिकार...

हर चार में से एक भारतीय है इस बड़े रोग का शिकार…

नई दिल्ली। देश में थायरॉइड से संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। प्रमुख डायग्नोस्टिक चेन एसआरएल ने हाल ही में अपने डेटा विश्लेषण के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया है कि 32 फीसदी भारतीय आबादी थायरॉइड से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियों की शिकार है।हर चार में से एक भारतीय है इस बड़े रोग का शिकार...

एसआरएल का यह विश्लेषण साल 2014-16 की अवधि के दौरान देश भर में 33 लाख से ज्यादा वयस्कों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें थायरॉइड पैनल के तीनों मार्कर्स- टीएसएच, टी4 और टी3 के आधार पर विश्लेषण किया गया, जिसमें से 68 फीसदी रिपोर्ट्स सामान्य पाई गई।

रिपोर्ट के अनुसार, देश के पूर्वी जोन में हाइपोथायरॉइडिज्म का मंद रूप सबक्लिनिकल हाइपोथॉयराइडिज्म अधिक प्रचलित है। वहीं, उत्तरी भारत में हाइपोथायरॉइडिज्म के अधिकतम मामले दर्ज किए गए, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी जोन में हाइपरथायरॉइडिज्म एवं इसके विभिन्न प्रकार अधिक संख्या में पाए गए।

इस मौके पर एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के प्रेसिडेंट टेक्नोलॉजी एवं मेंटर (क्लिनिकल पैथोलॉजी) डॉ.अविनाश फड़के ने बताया, “आंकड़े दर्शाते हैं कि थॉयरॉइड से जुड़े किस तरह के विकार देश भर के लोगों में मौजूद हैं। सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म देश में थॉयराइड का सबसे आम विकार है, जिसका निदान बिना चिकित्सकीय जांच के संभव ही नहीं है।

एसआरएल में हमने पाया है प्रिवेंटिव हेल्थ चेक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और इन्हीं परीक्षणों में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से सामान्य एवं स्वस्थ दिखने वाले लोग सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित हैं। असामान्यताओं के ये आंकड़े अपने उच्चतम स्तर पर हो सकते हैं, क्योंकि पैथोलॉजी प्रयोगशालाओं की राष्ट्रीय डायग्नोस्टिक चेन होने के नाते एसआरएल हाइपो एवं हाइपर थायरॉइड के मरीजों को विस्तार से पूरी जानकारी देता है। इस प्रकार रोग की शुरुआत में ही मरीजों को जागरूक बनाता है।” 

थायरॉइड की बीमारी आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है और कई तरह की समस्याएं पैदा करती हैं, जैसे वजन बढ़ना, हॉर्मोनों का असंतुलन आदि। पुरुष भी इसका शिकार हो सकते हैं, हालांकि महिलाओं की तुलना में उनके इस रोग से पीड़ित होने की संभावना कम होती है।

अल्पसक्रिय थायरॉइड के लक्षण पुरुषों और महिलाओं में एक ही तरह के होते हैं। जैसे कमजोरी, वजन बढ़ना, अवसाद और कॉलेस्ट्रोल का ऊंचा स्तर। इसके अलावा, पुरुषों में आमतौर पर कुछ अन्य लक्षण भी होते हैं जैसे बाल झड़ना, पेशियों की क्षमता में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और यौनेच्छा में कमी।

रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पुरुषों में थायरॉइड विकार की संभावना महिलाओं की तुलना में 8 गुना कम होती है, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि वे इस खतरे से पूरी तरह सुरक्षित हैं। हालांकि जल्दी निदान एवं उपचार इसमें कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा थायरॉइड हॉर्मोन रिप्लेसमेन्ट एक सुरक्षित एवं प्रभावी उपचार है, जिसके द्वारा लक्षणों का प्रबंधन करके रोग की जटिलताओं से बचा जा सकता है। सबक्लिनिकल हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण सामान्य से कम स्तर पर होते हैं, यह एक मूक रोग है जिसके मामले भारतीय आबादी में तेजी से बढ़ रहे हैं।

डॉ.फड़के ने कहा, “आनुवंशिकी भी थायरॉइड हॉर्मोन और टीएसएच सांद्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ऑटोइम्यून थॉयराइड रोग का मुख्य कारण है। वे लोग जिनके परिवार में थायरॉइड की समस्याओं का इतिहास होता है, उनमें इस विकार की संभावना अधिक होती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने परिवार के चिकित्सकीय इतिहास के बारे मे जागरूक हों, क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।”

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com