इन चार कार्यों को करने के बाद हर व्यक्ति को जरुर करना चाहिए स्नान ,आचार्य चाणक्य ने कुछ ऐसी स्थितियों का उल्लेख किया है कि जब व्यक्ति को तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि। तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्। आचार्य चाणक्य ने ऐसे चार कार्यों के बारे में बताया है, जिन्हें करने के पश्चात व्यक्ति का स्नान कर लेना स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ट माना जाता है….
1. चाणक्य के अनुसार निरोग काया और चमकदार त्वचा को लिए आवश्यक है कि सप्ताह में एक बार पूरे शरीर की तेल से मालिश करना चाहिए। पूरे शरीर की मालिश करने से रोम छिद्र खुल जाते हैं औ अंदर का मेल बाहर निकल जाता है। मालिश के पश्चात स्नान कर लेने से मेल औ तेल साफ हो जाता है। तेल मालिश से व्यक्ति की त्वचा में चमक आ जाती है। कहा जाता है कि तेल मालिश के पश्चात बिना स्नान किए बाहर जाना अशुभ होता है।
2. माना जाता है कि कामक्रीड़ा के पश्चात भी स्नान करना चाहिए, क्योंकि इससे स्त्री और पुरुष अपवित्र हो जाते हैं। इसलिए वे जब तक स्नान न कर लें कोई धार्मिक कार्य नहीं कर सकते। चाणक्य के अनुसार इस कार्य को करने के पश्चात तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बिना स्नान किए घर से बाहर नहीं जाना चाहिए।
3. चाणक्य के अनुसार बाल कटवाने के बाद शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं, जो स्नान के बाद ही साफ होते हैं। इसलिए हजामत करवाने के पश्चात भी नहा लेना चाहिए।
4. किसी व्यक्ति की शवयात्रा या शमशान जाने के पश्चात तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में विभिन्न प्रकार के कीटाणु होते हैं, जो हमारे शरीर और वस्त्रों में चिपक जाते हैं। ये कीटाणु हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, इसलिए शमशान से आने के तुरंत बाद स्नान कर लेना ठीक रहता है।