हांगकांग में नए सुरक्षा कानून को लागू करने के बाद चीन अब उसे पूरी तरह से अपनी मुठ्ठी में लेने की जुगत में लग गया है। हांगकांग में चीन विरोधी आंदोलन और उसके नेताओं को सबक सिखाने के बाद चीन वहां की व्यवस्था अपने हिसाब से कायम करना चाहता है। चीन ने अपनी कांग्रेस की बैठक में इस योजना का खुलासा किया है। चीन ने नेशनल पीपल्स कांग्रेस की बैठक में यह संकेत दिया है कि हांगकांग की चुनाव व्यवस्था में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। चीन ने साफ किया है अब हांगकांग की बागडोर चीनी देशभक्त के हाथों में होगी। हालांकि, चीन के इस बयान पर अभी अमेरिका या ब्रिटेन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इसे लेकर एक बार फिर अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच चीन का टकराव बढ़ सकता है। चीनी कांग्रेस की बैठक पर अमेरिका व अन्य यूरोपीय देशों की नजर टिकी है। उनकी दिलचस्पी यह जानने में है कि हांगकांग पर चीन की नई रणनीति क्या है।
हांगकांग के संविधान में बड़े बदलाव की तैयारी
इस बैठक में हांगकांग के संविधान में कई अहम बदलाव हो सकते हैं। एनपीसी उपाध्यक्ष वांग चेन ने संकेत दिया है कि हांगकांग की चुनावी व्यवस्था में फेरबदल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके चलते विपक्ष हांगकांग में आजादी की मांग उठाता रहा है। इस बैठक में चीन इन खतरों से निजात पाने का उपक्रम कर सकता है। यानी हांगकांग में आजादी की मांग करने वालों को राजनीतिक सत्ता से दूर करने का यत्न किया जा सकता है।
चीन यह कदम नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने के बाद उठाने की पूरी योजना बना रहा है। उधर, हांगकांग के विपक्ष का कहना है कि चीन अपनी इस नीति के जरिए हांगकांग में असंतोष को दबाने की कोशिश कर रहा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के बाद हांगकांग में 47 लोकतंत्र समर्थकों की गिरफ्तारी कर चुका है। उन पर देश विरोधी काम करने का आरोप लगाया गया है।
क्या है चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस
चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस देश की सबसे बड़ी और शक्तिशाली राजनीतिक संस्था। इसे चीन की संसद कहा जाता है। हालांकि, व्यवहार में यह एक रबर स्टांप वाली संसद है। इसका कार्य केवल चीनी सरकार की तय नीतियों और योजनाओं पर मुहर लगाने के काम तक सीमित है।
इस संस्था की सालाना बैठक प्रत्येक वर्ष मार्च में होती है। इसमें देशभर से करीब तीन हजार प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। इसमें चीन के विभिन्न प्रांतों, हांगकांग तथा मकाऊ के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में प्रतिनिधि शामिल होते हैं। चीनी कांग्रेस की इस बैठक के साथ ही चीन की पीपल्स कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस की भी बैठक होती है। यह देश की सबसे सर्वोच्च राजनीतिक सलाहकारी संस्था है।