चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाये भुगतान पर ब्याज माफ करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गन्ना किसानों के बकाये पर ब्याज माफी के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने का फैसला सुनाया है.जिसके बाद अब चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाये पर 15 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।गौरतलब है कि राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर कई महीनों चली। वहीं सुनवाई के बाद 13 दिसम्बर 2016 को जस्टिस वी.के. शुक्ला और जस्टिस एम.सी.त्रिपाठी की खण्डपीठ ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।
हाईकोर्ट से लगा चीनी मिलों को झटका, गन्ना किसानों को ब्याज माफी का आदेश
आपको बता दें कि राज्य सरकार ने चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के 2100 करोड़ के बकाये पर दो हजार करोड़ से ज्यादा का ब्याज माफ कर दिया था। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि जनहित में गन्ना समितियों की सहमति से ही ब्याज माफ किया गया है।जबकि चीनी मिलों ने अत्यधिक कर्ज में डूबे होने की वजह से किसानों के बकाये का भुगतान ब्याज सहित करने में असमर्थता जतायी थी।
वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की ओर से दलील दी गई है कि किसान भी बैंकों से कर्ज लेकर गन्ने की खेती करते हैं।बता दें कि 2012 से लेकर 2015 तक कई चीनी मिलों पर किसानों के बकाये पर लगभग दो हजार करोड़ का ब्याज राज्य सरकार ने माफ कर दिया था। प्रमुख सचिव के आदेश से की गई ब्याज माफी को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की ओर से याचिकाकर्ता वी.एम.सिंह ने चुनौती दी थी।
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