हापुड़ की सिंभावली शुगरमिल और बैंकों के बीच 13 सौ करोड़ के लोन घोटाले की जांच अब सीबीआई को दी गई है. यह लोन 2003 से लेकर 2013 तक 7 बैंकों ने शुगरमिल को आवंटित किया था. 2013 में दिवालिया हो चुकी शुगरमिल से ब्याज का 400 करोड़ लेकर बैंक समूह उसकी ऋण मुक्ति की साजिश रच रहा था. मगर अब हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को घोटाले की जांच दी गई है.
2014 में हापुड़ के किसान मंगत त्यागी के गोली मारकर हत्या कर दी गई. मंगत त्यागी सिंभावली शुगरमिल में अरबों रुपए के लोन को लेकर हो रहे भ्रष्टाचार के व्हिशिल ब्लोअर थे. मंगत त्यागी के पास उन सभी किसानों का डेटा था जिनके नाम, फोटो और जमीनों की खतौनियों का इस्तेमाल सिंभावली शुगर मिल ने अरबों रुपए के लोन के लिए किया था. मंगत इस फाइल को लेकर कई जगह शुगरमिल की शिकायत भी कर चुके थे. परिजनों का आरोप है कि शुगरमिल प्रबंधन ने पहले उन्हें चुप रहने की धमकी दी और जब वह चुप नहीं हुए तो उन्हें कत्ल करा दिया गया.
घाटे में बर्बाद हो चुकी सिंभावली शुगर मिल ने 2003 से बैंकों से कर्ज लेना शुरू किया था. एक बैंक का कर्ज जब अदा नहीं हो पाया तो इस बैंक की मदद से दूसरे बैंक का कर्ज लेकर.. फिर तीसरे… फिर चौथे… फिर पांचवें… और इस तरह कुल सात बैंकों से कर्ज लिया गया. कर्ज का ये रुपया 900 करोड़ था जिसकी ब्याज अब तक 400 करोड़ हो चुकी है. मिलीभगत करके जनता की गाड़ी कमाई को कर्ज के रूप में शुगरमिल को सौंपने वाले बैंक समूह महज ब्याज की रकम के बदले कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के जरिए कर्ज का निस्तारण करना चाहते थे. उनके खिलाफ शुगरमिल हाई कोर्ट चला गया. हाईकोर्ट ने पूरे मामले को जब देखा तो शुगरमिल और बैंकों के बीच हुए लोन को कारोबारी निर्लज्जता बताया और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.