पाकिस्तान ने हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत को संयुक्त राष्ट्र के दबाव के बाद प्रतिबंधित कर दिया है, मगर ये पाकिस्तान की सोची समझी साजिश का हिस्सा है जिसके द्वारा पाकिस्तान ने एक साथ UN और भारत दोनों को फ़िलहाल के लिए चुप करा दिया है, कश्मीर में हो रहे लगातार हमले के बाद भारत में ठोस जवाबी कार्यवाही की मांग के बाद रक्षामंत्री और सेना प्रमुख के तीखे तेवर को भांपते हुए पाकिस्तान ने ये चाल चली है, जिससे संयुक्त राष्ट्र भी भारत को पाकिस्तान के इस कदम पर गौर करने को कहे और किसी भी तरह की बड़ी कार्यवाही को टाला जा सके.
भारत की ओर से सैन्य कार्यवाही से डरा पाकिस्तान पहले तो गीदड़ भभकीया देता रहा और बाद में उसने ये साजिश भरी चाल खेली है, जबकि असलियत इसके बिल्कुल उलट है, क्योकि आतंकवाद को बढ़ावा देना, उसे पालना, और सरंक्षण देना पाकिस्तान की नीतियों में शामिल है, जिसके द्वारा वो भारत में दहशत फ़ैलाने और कश्मीर में सीमा पर अपने नापाक मंसूबो को अंजाम देता आया है. मनी लांडिंग और टेरर फंडिंग जैसे शब्द दुनिया को पाकिस्तान की ही देन है.
अब जब अंतरराष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ की ओर से सख्त कदम उठाने के संकेत मिल रहे है तो पाकिस्तान ने ये दोहरी नीति अपनाई है, जिससे अमेरिका समेत वैश्विक वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली मदद भी ना रुक सके. मगर भारत, अमरीका और सयुंक्त राष्ट्र समेत दुनिया के ज्यादातर मुल्क पाकिस्तान के इस दोगलेपन से वाकिफ हो चुके है.
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