डॉक्टर बनने के लिए अंग्रेजी में की जाने वाली ( MBBS ) एमबीबीएस की पढ़ाई आने वाले दिनों में हिन्दी में भी हो सकेगी। इससे हिन्दी भाषी लोगों को काफी फायदा होगा।

भारतीय चिकित्सा परिषद यानी एमसीआई इसको लेकर एक प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर ऐसा होता है तो एमबीबीएस की किताबें हिन्दी में आएंगी और डॉक्टरी की पढ़ाई हिन्दी में हो सकेगी।
एमबीबीएस कोर्स शुरू करने की मांगी अनुमति
सूत्रों के मुताबिक भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेई हिन्दी विश्वविद्यालय की तरफ से हिन्दी में एमबीबीएस कोर्स शुरू करने की अनुमति मांगी गई है। इसके बाद एमसीआई की एक बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई। जिसके बाद तय किया गया कि विश्वविद्यालय से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट ली जाए कि एमबीबीएस में पढ़ाई जाने वाली किताबें और मेडिकल जर्नल हिन्दी में उपलब्ध हैं या नहीं। अगर हिन्दी में एमबीबीएस की पुस्तकें और मेडिकल जर्नल हैं तो हिन्दी में पढ़ाई की अनुमति दी जा सकती है।
अंग्रेजी भाषी लोगों से पिछड़ जाते हैं
दरअसल, देश में करीब 450 मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें से करीब 150 कॉलेज हिन्दीभाषी राज्यों में हैं। इन राज्यों के छात्रों को अंग्रेजी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और अंग्रेजी भाषी लोगों से पिछड़ जाते हैं। इसमें उत्तर भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भाषा से जुड़ी सबसे ज्यादा समस्याएं उठानी पड़ती है। यहां के छात्र एम्स की एमबीबीएस परीक्षा तो पास कर लेते हैं लेकिन आगे की पढ़ाई अंग्रेजी में होने की वजह से वो मुश्किल में पड़ जाते हैं।
प्रवेश परीक्षा हिन्दी में भी
वहीं एमसीआई इस बारें में एक रिपोर्ट की मांग कर रही है क्या सच में हिन्दी भाषी सिर्फ अंग्रेजी की वजह से डॉक्टर बनने में पिछड़ जाते हैं? बता दें कि एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा हिन्दी में भी होती है। लेकिन एमसीआई के एक्ट में एमबीबीएस कोर्स की भाषा से जुड़ा कोई प्रावधान नहीं है।
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