
भाजपा की ओर से योगी आदित्यनाथ कर चुके हैं प्रचार: डभोई में हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए भाजपा ने न सिर्फ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभा आयोजित की बल्कि खुद पार्टी प्रत्याशी शैलेश सोट्टा ने भी एक समुदाय विशेष के खिलाफ आग उगलते हुए क्षेत्र में हिंदुत्व की अलख जगाने की कोशिश की। मगर उनका यह दांव जमीन पर कामयाब होता नहीं दिख रहा है।
क्षेत्र में सोट्टा भाई के नाम से प्रसिद्ध शैलेश सोट्टा भाई की छवि एक कामकाजी नेता के रूप में है। डभोई में पान की दुकान चला रहे कन्नू मेवानी कहते हैं कि सोट्टा जीते तो बड़ौदा के मधू श्रीवास्तव सरीखा काम करेंगे। उन्होंने बतौर निगम पार्षद बड़ौदा में बेहतर काम किया है, लेकिन यहां से उनकी जीत पर संशय जताते हुए कहते हैं कि चुनाव में मुकाबला टक्कर का है। सोट्टा को यहां भाजपा विधायक के खिलाफ जनता की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा।
डभोई शहर में शुरूआत में बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान चलाने वाले रमेश भाई का कहना है कि यहां पहले भाजपा के विधायक बाल कृष्ण पटेल थे। उन्होंने क्षेत्र में विकास का कोई कार्य नहीं किया है बल्कि पूरे 5 साल जनता के बीच से नदारद रहे। रमेश भाई कहते हैं कि इस मामले में सिद्दार्थ पटेल की छवि बेहतर हुई है। जो भी काम लेकर उनसे मिलने जाता है पटेल उनका काम कर देते हैं। वैसे भी चिमन भाई का बेटा होने की वजह से क्षेत्र की जनता में सिद्दार्थ पटेल को लेकर सम्मान है।
डभोई-नेतरंग राज्यमार्ग पर अमरूद बेच रहे नानू भाई वसावा पहले तो राजनीतिक चर्चाओं से किनारा करते हैं। मगर बाद में सिदार्थ पटेल की बात करते हैं। उनका कहना है कि पिछले विधायक ने दर्शन नहीं दिए। यह कहे जाने पर की भाजपा ने अपने पिछले विधायक का टिकट काटकर दूसरे को मैदान में उतारा है, नानू कहते हैं कि सोटा की गारंटी कौन लेगा।
इस सीट से वे 1998 और 2007 में चुनाव जीते हैं। तो 2002 और 2012 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। इस दफे उनके जीतने की बारी है। मगर इसके लिए उन्हें भाजपा के हिंदुत्व की चाल से पार पाना होगा। वैसे जातिय गणित और जनता की सहानुभूति उनके साथ दिखती है।
जानिए डभोई का जातिय गणित, क्यों है कांग्रेस मजबूत: करीब 2,01,849 मतदाताओं वाले डभोई में पटेलों की संख्या 44 हजार है, 23 हजार के करीब मुस्लिम और 22 हजार ठाकोर के अलावा करीब 46 हजार आदिवासी मतदाता हैं। आदिवासी मतदाताओं में 32 हजार वासवा हैं। जो कि इस दफे कांग्रेस में जाते दिख रहे हैं। पिछले दफे भी पटेलों का साथ कांग्रेस से छूटने की वजह से सिद्धार्थ की करीब 5 हजार से हार हुई थी। इन बिरादरीयों के अलावा दलित, ब्राह्मण और पिछड़े हैं। भाजपा के सोट्टा ब्राह्मण बिरादरी के बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि यहां भाजपा को हिंदुत्व का कार्ड स्थानीय स्तर पर भी खेलना पड़ रहा है।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features