कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि कोई जरूरी नहीं है कि जिसके पास सत्ता हो, उसमें सच्चाई हो. राहुल ने यह भी कहा कि देश में नफरत फैलाने वाले कभी सफल नहीं होंगे. राहुल ने कहा कि हिंदू होने का मतलब सच्चाई की रक्षा होने का मतलब है. राहुल गांधी चंपारण सत्याग्रह की 100वीं सालगिरह के मौके पर पटना में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
राहुल ने कहा कि भारत ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ पहली लड़ाई लड़ी, इस लड़ाई में हिंदू, मुसलमान, सिख सभी एक साथ लड़े. राहुल ने कहा कि सत्ता और सच्चाई में फर्क हो सकता है, जिसके पास सत्ता होगी उसके पास सच्चाई नहीं होगी.
पहले आजादी की जरूरत नहीं थी
राहुल ने कहा कि पहले यह सोच थी कि आजादी की जरुरत नहीं है, लोग सोचते थे कि हम अंग्रेजों के साथ अपना जीवन गुजार सकते हैं. लेकिन जलियांवाला बाग जैसी सच्चाई को गांधी जी ने देखा तो उन्होंने अपना मन बदला और सोचा कि आजादी के बाद हिंदुस्तान अधूरा है. राहुल ने कहा कि पहले ऐसा भी एक समय था कि जब हिंदुस्तान के लोग कहते थे कि हमें भी अधिकार चाहिए.
हिंदू होने का मतलब सच्चाई की रक्षा करना
राहुल बोले कि जलियांवाले बाग में ना हिंदू मरे थे, ना मुसलमान ना सिख मरे थे, वहां हिंदुस्तानी मरे थे. गांधी जी की विचारधारा कोई नई नहीं है, हमारे धर्म, उपनिषद में सच्चाई के बारे में लिखा हुआ है. राहुल ने कहा कि हिंदू होने का मतलब सच्चाई की रक्षा होने का मतलब है. इस धर्म में और कुछ नहीं हैं, हमारी हर किताब में लिखा है कि हर व्यक्ति का आदर करो, जहां अन्याय दिखे उसके खिलाफ खड़े हो जाओ. गांधी जी ने सिर्फ इस विचारधारा को आगे बढ़ाया.
आपको बता दें कि इससे पहले 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चंपारण सत्याग्रह की सौवीं सालगिरह पर इसे गांधी के एक और सपने व दर्शन से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे स्वच्छाग्रह के नये तेवर औऱ कलेवर में शुरू किया था.