हिन्दी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद या भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह 06 अगस्त 2020 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। कजरी तीज मुख्यत: रक्षाबंधन यानी कि श्रावण पूर्णिमा के तीसरे दिन पड़ता है। कजरी तीज के दिन सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस तीज को सातुड़ी तीज भी कहते हैं। कजरी तीज उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में मनाया जाता है।
कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज के दिन विवाहित महिलाएं सोलिह श्रृंगार करती हैं। हाथों में मेंहदी रचाती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अपने सुहाग की लंबी आयु, सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस दिन अविवाहित कन्याएं भी मनचाहे वर की कामना से यह निर्जला व्रत रखती हैं।
कजरी तीज का मुहूर्त
भादो मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 05 अगस्त दिन बुधवार को देर रात 10 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है, जो कि 06 अगस्त की देर रात 12 बजकर 14 मिनट तक है।
कजरी तीज पूजा
कजरी तीज की पूजा में सुहाग की सामग्री का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करती हैं क्योंकि यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए होता है। सुहाग की सामग्री में मेंहदी, सिंदूर, महावर, चूड़ी, बिंदी, साड़ी, चुनरी आदी शामिल होता है।
इस दिन पूजा में चढ़ाने के लिए घर का बना प्रसाद अर्पित किया जाता है। गेहू, चावल, चना, घी व मेवे को मिलाकर मीठा पकवान बनाया जाता है। वह ही माता को चढ़ाते हैं। व्रत के पारण से पूर्व व्रती को चंद्रमा का दर्शन करना होता है और गाय को आटे की रोटी, चना और गुड़ खिलाना होता है।