हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसका सम्बध भगवान विष्णु से है। इसके साथ ही यह मानव जीवन कि कई प्रकार कि समस्या के समाधान के लिए भी उपयुक्त माना गया है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होते रहता है। ऋग्वेद में इसे देव वृक्ष भी माना गया है। यजुर्वेद में यह हर यज्ञ की जरूरत बताया गया है। अथर्ववेद में इसे देवताओं का निवास स्थान बताया गया।
इसका उल्लेख बौद्ध पौराणिक इतिहास के साथ-साथ रामायण, गीता, महाभारत, सभी धार्मिक हिन्दू ग्रंथों में भी किया गया है, स्कंदपुराण में पीपल के बारे में उल्लेख किया है। इसमें कहा गया है कि पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत देव निवास करते हैं। मान्यता है कि इस पेड़ को प्रणाम करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
पीपल के पेड़ को अक्षय वृक्ष कहा जाता है क्योंकि इसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते हैं। पीपल के पत्ते एक साथ कभी नहीं झड़ते हैं और फिर नए पत्ते आने पर पेड़ को हरा-भरा बना देते हैं। पीपल की यह खूबी जन्म-मरण के चक्र को भी दर्शाती है। पीपल के नीचे बैठकर तप करने से महात्मा बुद्ध को इस सच्चाई का ज्ञान प्राप्त हुआ था।
शास्त्रों के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित कर पूजा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से चमत्कारी लाभ मिलता है। ‘ऊं चैतन्य अव्क्षत्थाय शरणम् नम:’ मंत्र ध्यान करते हुए सफेद तिल और दूध से पीपल के पेड़ को अर्ध्य दें। इससे पितृ दोष खत्म हो जाते हैं। ऐसा करने से शनि की कृपा भी बनी रहती है।