विधानसभा चुनाव की घोषणा के ठीक बाद प्रदेश कांग्रेस को एक और झटका लगा है। सीएम वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह की भाभी के भाजपा में शामिल होने के बाद अब मंडी से कांग्रेस के लिए बुरी खबर आई है।
इससे सूबे की राजनीति में भूचाल ला दिया है। सुखराम के पोते आश्रय शर्मा के भी भाजपा में शामिल होने की सूचना है। आश्रय शर्मा को भी भाजपा टिकट दे सकती है।
हालांकि उन्होंने अभी मंत्रिमंडल और कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है। जल्द ही वह विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हो जाएंगे। वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अनिल शर्मा का कहना है कि उन्हें लंबे समय से उनके परिवार को नजरंदाज किया जा रहा था।
मजबूरी में उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। मंडी सदर से प्रत्याशी बनाने के आश्वासन के बाद वह भाजपा में शामिल हुए हैं। गौरतलब है कि पंडित सुखराम मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के धुर विरोधी रहे हैं।
अनिल शर्मा ने भाजपा में शामिल होने की बात स्वीकारते हुए कहा कि कांग्रेस में वह लंबे समय से घुटन महसूस कर रहे थे। राहुल गांधी की मंडी रैली के दौरान उनके पिता पंडित सुखराम का विरोध किया गया था। इसी के चलते वह इस रैली में शामिल नहीं हुए थे।
इसके बाद चुनाव को लेकर गठित समितियों में भी उनको और पंडित सुखराम को कोई जगह नहीं मिली। शनिवार को पंडित सुखराम ने खुद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुशील शिंदे से दिल्ली में मुलाकात कर नाराजगी जताई लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
इसके बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया। अनिल शर्मा का कहना है कि भाजपा ने उन्हें मंडी सदर से प्रत्याशी बनाने का आश्वासन दिया है और जल्द ही वह विधिवत रूप से पार्टी को ज्वाइन करेंगे। भाजपा में शामिल होने का एलान करने पर मंडी के कई भाजपाई उनसे मिलने उनके घर पहुंच गए।
बदलेंगे मंडी की राजनीति के समीकरण
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के परिवार की भाजपा में एंट्री होने से जिला मंडी के राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे। जिला में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम का खासा दबदबा माना जाता है। सुखराम और अनिल शर्मा के भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। मंडी सदर सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है। अनिल शर्मा के कांग्रेस छोड़ने से भाजपा को जिला में मजबूती मिलने की संभावना है।
इस चुनाव में हिविकां के पांच विधायक जीते थे। उस समय भाजपा और कांग्रेस की 31-31 सीटों पर जीत हुई। हिविकां के सहयोग से तब मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनीं। हिविकां समर्थित भाजपा सरकार ने अपना कार्यकाल तो पूरा किया, मगर बाद में हिविकां का कांग्रेस में विलय हो गया।