यही कारण था उसके आजादी के इस आंदोलन में शामिल होने का कारण बना। गिलानी ने ईसा और हकूरा में मारे गए अन्य आतंकी ओवैस शैफी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपने देश की पुरानी गुलामी से आजाद कराने के लिए अपनी जिंदगी का त्याग करते हुए इस मिशन को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। आवाम उनके त्याग और बलिदान को याद रखेगी।
कुरान की हवाला देते हुए गिलानी ने कहा कि ये शहीद अभी भी जिंदा है। उन्होंने कहा कि अल्लाह के मार्ग पर जाने वाले लोग मरते नहीं हैं। इस दौरान गिलानी ने कहा कि हमें ऐसे लोगों का बहिष्कार करना चाहिए जो सत्ता के सुख के लिए हमारे युवाओं का खून बहाते हैं। हम भारत के किसी भी हिस्सों को छीनना नहीं चाहते हैं। हम तब तक अपनी मिशन को जारी रखेंगे जब तक ये कोई तर्कसंगत नतीजे पर नहीं पहुंचता है।