नौ साल पहले आई फिल्म ‘ए वेडनेसडे’ याद है आपको! फिल्म में आम आदमी का किरदार निभा रहे नसीरुद्दीन शाह मुंबई पुलिस कमिश्नर प्रकाश राठौर (अनुपम खेर) को फोन कर धमकी देते हैं. ये फोन कहां से और किस नंबर से किया गया, इसका पता पुलिस महकमे की साइबर विंग लाख कोशिश करने के बाद भी नहीं लगा पाती. यही काम एक 16 साल का लड़का चुटकियों में कर देता है.
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डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता देश अब ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए तैयार हो रहा है. आज मेट्रो से लेकर एयरपोर्ट, न्यूक्लियर पावर प्लांट, बैंकिंग और ट्रांसपोर्ट, ये सभी ही डिजिटली संचालित हो रहे हैं. इनका सर्वर हैक कर बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सकता है. ऐसे ही हैकर्स को मात देने के लिए सरकार अपने हैकर्स की टीम बनाने की तैयारी में है. एथिकल हैकर्स की ये टीम सरकार को बताएगी कि उनके सर्वर को हैकर्स तबाही मचाने के इरादे से किन-किन तरीकों से हैक कर सकते हैं.
इसके लिए केंद्र सरकार ‘हैकाथन’ का आयोजन करने जा रही, जिसमें हैकर्स को मेट्रो, एयरपोर्ट, न्यूक्लियर प्लांट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सर्वर का सेटअप लगाकर देंगे. ये हैकर्स इस सर्वर को हैक करने की कोशिश करेंगे, जिससे कमजोरियों और खामियों का पता लगाया जा सके. इसी के आधार पर असली सर्वर को और सुरक्षित बनाया जाएगा.
एक अधिकारी ने बताया कि ‘हैकाथन’ के लिए राजधानी में एक सर्वर रेंज बनाया जाएगा, जो हूबहू मेट्रो, एयरपोर्ट, पावर प्लांट, रेलवे के नेटवर्क जैसा होगा. अगर ये एथिकल हैकर्स इस सर्वर में सेंधमारी कर लेंगे तो हमें अपनी कमजोरियों का पता चल जाएगा, जो हमारे काफी काम आएगा. ऐसे में तबाही मचाने के इरादे से सर्वर हैक करने वालों से हम सावधान हो सकते हैं. येइथिकल हैकर्स सरकार के डिजिटल डिफेंस सिस्टम की कमजोरियों का पता लगाएंगे.
20 नवंबर से शुरू होने वाले ग्लोबल कॉन्फ्रेंस ऑन साइबर स्पेस 2017 में ही हैकाथन का आयोजन होगा, जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे. इसमें 120 देश शिरकर करेंगे. इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इन्फ्रास्ट्र्क्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) के अंतर्गत होगा. ई-गवर्नेंस की ओर बढ़ रही सरकार हैकाथन के जरिए अपने सर्वर और डाटा को और सुरक्षित बनाने की कोशिश करेंगे.
दिल्ली जैसे शहर हैकर्स के निशाने पर हैं. लिहाजा सरकार का पूरा ध्यान ऐसे हैकरों से बचने के लिए पहले से ही जरूरी इंतजाम कर लेने पर है. सरकारी एजेंसियां हैकर्स से बचने के लिए क्विक हील जैसी निजी कंपनियों से मदद ले रही हैं. सूत्रों के मुताबिक जापान, इजिप्ट, इजरायल और रूस से भी बात की गई है. साइबर थ्रेट्स की जानकारी के लिए आईआईटी समेत कुछ अन्य संस्थानों की भी मदद ली जा रही है.
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