होटल की चेकिंग के मामले में मालिकों और संचालकों को कोई राहत नहीं मिलेगी. बिना एनओसी के होटल संचालकों को मुसाफिरों को ठहराने की सुविधा नहीं मिलेगी. साथ ही दी गई समय सीमा के बाद होटलों के विरुद्ध अभियान फिर शुरू होगा. जिला प्रशासन ने होटलों के प्रति चल रहे अभियान को लेकर रुख स्पष्ट कर दिया है. उधर होटल संचालक एलडीए अधिकारियों पर रिश्वत का आरोप लगा रहे हैं साथ ही जांच के दौरान मुसाफिरों को ठहराने की छूट मांगने के लिए उपमुख्यमंत्री से लेकर एसएसपी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.
अग्निकांड के बाद जारी है अभियान
चारबाग में होटल एसएसजे इंटरनेशनल और विराट में हुए अग्निकांड के बाद से जिला प्रशासन ने इस इलाके में होटलों के खिलाफ जांच शुरू की. अब इस दौरान लगभग एक दर्जन होटल सील किए जा चुके है तो दो दर्जन से अधिक होटलों को नोटिस दिया जा चुका है. जिला प्रशासन के इस ताबड़तोड़ अभियान से परेशान होकर होटल संचालकों ने जिला प्रशासन से 15 दिन का समय मांगा कि वह इस दौरान सभी मानकों को पूरा कर विभिन्न विभागों से मिलने वाली एनओसी ले लेंगे. ऐसे में जिला प्रशासन ने उन्हें सशर्त समय दे दिया है. जो होटल मानकों के अनुरूप नहीं है, वह अपनी प्रपत्रों को प्रक्रिया पूरी कर ले, लेकिन इस दौरान वह अपने यहां मुसाफिरों को नहीं ठहराएंगे. हालांकि राहत के लिए होटल संचालकों ने डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, जिला प्रशासन के अधिकारियों और एसएसपी के यहां मुसाफिरों को ठहराने की छूट की मांग की. लेकिन जिला प्रशासन के कड़े रुख को देखते हुए उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली. जिला प्रशासन सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया है कि जो नियम बने हैं, होटल संचालकों को फॉलो करना होगा. दिए गए समय के बाद फिर से जांच के लिए अभियान चलेगा.
कोट
होटल संचालकों को दिए गए समय के बाद फिर से जांच शुरू की जाएगी. इस मामलें में उन्हें कहीं कोई रियायत नहीं मिलेगी. उनके पास चंद दिन ही शेष है.